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________________ . पण्णवणासुत्तं प० 11 453 भासे भासंति, णणथं सिक्खापुच्वगं उत्तरगुणलद्धिं वा पडुच्च सच्चं पि भासं भासंति, मोमं पि०, सच्चामोसं पि०, असच्चामोसं पि भासं भासंति / मणुस्सा जाव वेमाणिया एए जहा जीवा तहा भाणियव्वा // 394 // जीवे णं भंते ! जाई दव्वाई भासत्ताए गिण्हइ ताई किं ठियाइं गिण्हइ, अठियाइं गिण्हइ ? गोयमा ! ठियाइं गिण्हइ, णो अठियाइं गिण्हइ / जाइं भंते ! ठियाई गिण्हइ ताई किं दव्वओ गिण्हइ, खेत्तओ गिण्हइ, कालओ गिण्हइ, भावओ गिण्हइ ? गोयमा ! दव्वओ वि गिण्हइ, खेत्तओ वि०, कालओ वि०, भावओ वि गिण्हइ / जाइं भंते ! दव्वओ गिण्हइ ताई कि एगपएसियाई गिण्हइ, दुपए सियाइं जाव अणंतपए सियाई गिण्हइ ? गोयमा ! णो एगपएसियाई गिण्हह जाच णो असंखेजपएसियाई गिण्हइ, अणंतपएसियाई गिण्हइ / जाइं खेत्तओ गेण्हइ ताई कि एगपएसोगाढाइं गेण्हइ, दुपए. सोगाढाइं गेण्हइ जाव असंखेजपएसोगाढाइं गेण्हइ ? गोयमा ! णो एगपएसोगाढाई गेण्हइ जाव णो संखेजपएसोगाढाइं गेण्हइ, असंखेजपएसोगाढाई गेण्हइ / जाई कालओ गेण्हइ ताई कि एगसमय ठिइयाई गेण्हइ, दुसमयठिइयाई गेण्हइ जाव असंखेजसमयठिइयाइं गेण्हइ ? गोयमा! एगसमयठिइयाई पि गेण्हइ, दुसमयठिइयाई पि गेण्हइ जाव अमंखेजसमयठिइयाई पि गेण्हइ / जाइं भावओ गेण्हइ ताई किं वण्णमंताई गेण्हइ, गंधमंताई०, रसमंताई०, फासमंताई गेहइ ? गोयमा ! वण्णमंताई पि गे• जाव फासमंताई पि गेण्हइ / जाइं भावओ वण्णमंताई गेण्हइ ताई कि एगवण्णाइं गेण्हइ जाय पंचवण्णाइं गेण्हइ ? गोयमा ! गहणदव्वाइं पडुच्च एगवण्णाई पि गेण्हइ जाव पंचवण्णाई पि गेण्हइ सव्वग्गहणं पडुच्च णियमा पंचवण्णाइं गेण्हइ, तंजहा-कालाई णीलाइं लोहियाइं हालिद्दाइं सुकिलाई / जाई वण्णओ कालाई गेण्हइ ताई कि एगगुणकालाई गेण्हइ जाव अणंतगुणकालाई गेण्हइ ? गोयमा ! एगगुणकालाई पि गेण्हइ जाव अणंतगुणकालाई पि गेहइ / एवं जाव सुकिल्लाई पि / जाइं भावओ गंधमंताई गिण्हइ ताई कि एगगंधाई गिण्हइ, दुगंधाई गिण्हइ 1 गोयमा! गहणदव्वाइं पडुच्च एगगंधाइं पि० दुगंधाई पि गिण्हइ, सव्वग्गहणं पडुच्च णियमा दुगंधाइं गिण्हइ / जाई गंधओ सुब्भिगंधाई गिण्हइ ताई कि एगगुणमुब्भिगंधाइं गेण्हइ जाव अणंतगुणसुब्भिगंधाइं गेहइ 1 गोयमा ! एगगुणसुन्भिगंधाई पि गि० जाव अणंतगुणसुन्भिगंधाई पि गिण्हइ / एवं दुब्भिगंधाई पि गेण्हइ / जाइं भावओ रसमंताई गेण्हइ ताई कि एगरसाइं गेण्हइ जाव किं पंचरसाई गेण्हइ ? गोयमा ! गहणदव्वाइं पडुच्च एगरसाई पि गेण्हइ जाव पंचरसाई पि
SR No.004388
Book TitleAnangpavittha Suttani Padhamo Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages608
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, & agam_pragyapana
File Size11 MB
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