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________________ पण्णवणासुत्तं प० 10 443 चरमाइं च अवत्तव्वए य 13, णो चरमाइं च अवत्तव्वयाई च 15, णो अचरमे य अवत्तव्वए य 15, णो अचरमे य अवत्तव्वयाइं च 16, णो अचरमाइं च अवत्तव्वए य 17, णो अचरमाइं च अवत्तव्वयाइं च 18, णो चरमे य अचरमे य अवत्तव्वए य 19, णो चरमे य अचरमे य अवत्तव्वयाइं च 20, णो चरमे य अचरमाइं च अवत्तव्वए य 21, णो चरमे य अचरमाइं च अवत्तव्वयाई च 22, सिय चरमाइं च अचरमे य अवत्तव्वए य 23, सिय चरमाइं च अचरमे य अवत्तव्ययाइं च 24, सिय चरमाइं च अचरमाइं च अवत्तव्वए य 25, णो चरमाइं च अचरमाइं च अवत्तव्वयाइं च 26 // 362 // छप्पएसिए णं भंते ! खंधे पुच्छा / गोयमा! छप्पएसिए णं खंधे सिय चरमे 1, णो अचरमे 2, सिय अवत्तव्वए 3, णो चरमाइं 4, णो अचरमाइं 5, णो अवत्तव्वयाई 6, सिय चरमे य अचरमे य 7, सिय चरमे य अचरमाइं च 8, सिय चरमाइं च अचरमे य 9, सिय चरमाइं च अचरमाइं च 10, सिय चरमे य अवत्तव्वए य 11, सिय चरमे य अवत्तव्वयाइं च 12, सिय चरमाइं च अवत्तव्वए य 13, सिय चरमाई च अवत्तव्वयाइं च 14, णो अचरमे य अवत्तव्वए य 15, णो अचरमे य अवत्तव्वयाइं च 16, णो अचरमाइं च अवत्तव्वए य 17, णो अचरमाइं च अवत्तव्वयाई च 18, सिय चरमे य अचरमे य अवत्तव्वए य 19, णो चरमे य अचरमे य अवत्तव्वयाइं च 20, णो चरमे य अचरमाइं च अवत्तव्वए य 21, णो चरमे य अचरमाइं च अवत्तव्वयाइं च 22, सिय चरमाइं च अचरमे य अवत्तव्वए य 23, सिय चरमाइं च अचरमे य अंवत्तव्वयाइं च 24, सिय चरमाई च अचरमाइं च अवत्तव्वए य 25, सिय चरमाइं च अचरमाइं च अवत्तव्वयाई च 26 // 363 // सत्तपएसिए णं भंते ! खंधे पुच्छा। गोयमा ! सत्तपएसिए णं खंधे सिय चरमे 1, णो अचरमे 2, सिय अवत्तव्वए 3, णो चरमाइं 4, णो अचरमाइं 5 णो अवत्तव्वयाइं 6, सिय चरमे य अचरमे य 7, सिय चरमे य अचरमाइं च 8 सिय चरमाइं च अचरमे य 9, सिय चरमाइं च अचरमाइंच 10, सिय चरमे य अवत्तव्वए य 11, सिय चरमे य अवत्तव्वयाइं च 12, सिय चरमाइं च अवत्तव्वए य 13, सिय चरमाइं च.अवत्तव्वयाइं च 14, णो अचरमे य अवत्तव्वए य 15, णो अचरमे य अवत्तव्वयाइं च 16, णो अचरमाइं च अवत्तव्वए य 17, णो अचरमाइं च अवत्तव्वयाइं च 18, सिय चरमे य अचरमे
SR No.004388
Book TitleAnangpavittha Suttani Padhamo Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages608
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, & agam_pragyapana
File Size11 MB
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