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________________ 442 अनंगपविट्ठसुत्ताणि उदाहु चरमे य अचरमे य अवत्तव्वयाइं च 20, उदाहु चरमे य अचरमाइं च अवत्तव्वए य 21, उदाहु चरमे य अचरमाइं च अवत्तव्वयाई च 22, उदाहु चरमाइं च अचरमे य अवत्तव्वए य 23, उदाहु चरमाइं च अचरमे य अवतव्वयाइं च 24, उदाहु चरमाइं च अचरमाइं च अवत्तव्वए य 25, उदाहु चरमाइं च अचरमाइं च अवत्तव्वयाइं च 26 / एए छव्वीसं भंगा। गोयमा ! परमाणुपोग्गले णो चरमे, णो अचरमे, णियमा अवत्तव्वए, सेसा भंगा पडिसेहेयव्वा // 358 // दुपए सिए णं भंते ! खंधे पुच्छा / गोयमा! दुपए सिए खंधे सिय चरमे, णो अचरमे, सिय अवत्तव्वए / सेसा भंगा पडिसेहेयव्वा // 359 // तिपएसिए णं भंते ! खंधे पुच्छा / गोयमा !तिपए सिए खंधे सिय चरमे 1, णो अचरमे 2, सिय अवत्तव्वए 3, णो चरमाइं 4, णो अचरमाइं 5, णो अवत्तव्वयाई 6, णो चरमे य अचरमे य 7, णो चरमे य अचरमाइं 8, सिय चरमाइं च अचरमे य 9, णो चरमाइं च अचरमाइं च 10, सिय चरमे य अवत्तव्वए य 11, सेसा भंगा पडिसेहेयव्वा // 360 // चउपएसिए णं भंते ! खधे पुच्छा। गोयमा ! चउपए सिए णं खंधे सिय चरमे 1, णो अचरमे 2, सिय अवत्तव्वए 3 णो चरमाई 4, णो अचरमाइं 5, णो अवत्तव्वयाई 6, णो चरमे य अचरमे य 7, णो चरमे य अचरमाइं च 8, सिय चरमाइं अचरमे य 9, सिय चरमाइं च अचरमाइं च 10, सिय चरमे य अवत्तव्वए य 11, सिय चरमे य अवत्तव्वयाई च 12, णो चरमाइं च अवत्तव्वए य 13, णो चरमाइं च अवत्तव्वयाइं च 14, णो अचरमे य अवत्तव्वए य 15, णो अचरमे य अवत्तव्वयाइं च 16, णो अचरमाइं च अवत्तव्वए य 17, णो अचरमाइं च अवत्तव्वयाइं च 18, णो चरमे य अचरमे य अवत्तव्वए य 19, णो चरमे य अचरमे य अवत्तव्वयाई च 20, णो चरमे य अचरमाइं च अवत्तव्वए य 21, णो चरमे य अचरमाइं च अवत्तव्वयाइं च 22, सिय चरमाइं च अचरमे य अवत्तव्वए य 23 / सेसा भंगा पडिसेहेयव्वा // 361 // पंचपएसिए णं भंते ! खंधे पुच्छा / गोयमा ! पंचपए सिए खंधे सिय चरमे 1, णो अचरमे 2, सिय अवत्तव्वए 3, णो चरमाइं 4, णो अचरमाइं 5, अवत्तव्वयाई 6, सिय चरमे य अचरमे य 7, णो चरमे य अचरमाइं च 8, सिय चरमाइं च अचरमे य 9, सिय चरमाइं च अचरमाइं च 10, सिय चरमे य अवत्तव्वए य 11, सिय चरमे य अवत्तव्वयाई च 12, सिय
SR No.004388
Book TitleAnangpavittha Suttani Padhamo Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages608
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, & agam_pragyapana
File Size11 MB
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