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________________ 384 अनंगपविट्ठसुत्ताणि जोइसिया देवा संखिज्जगुणा 40, जोइसिणीओ देवीओ संखिज्जगुणाओ 41, खहयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिया णपुंसगा संखिज्जगुंणा 42, थलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिया णपुंसगा संखिज्जगुणा 43, जलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिया णपुंसगा संखिज्जगुणा 44, चउरिंदिया पज्जत्तया संखिज्जगुणा 45, पंचिंदिया पज्जत्तया विसेसाहिया 46, बेइंदिया पज्जत्तया विसेसाहिया 47, तेइंदिया पज्जत्तया विसेसाहिया 48, पंचिंदिया अपज्जत्तया असंखिज्जगुणा 49, चउरिंदिया अपज्जत्तया विसेसाहिया 50, तेइंदिया अपज्जत्तया विसेसाहिया 51, बेइंदिया अपज्जत्तया विसेसाहिया 52, पत्तेयसरीरबायरवणस्सइकाइया पज्जत्तया असंखिज्जगुणा 53, बायरणिओया पज्जत्तया असंखिज्जगुणा 54, बायरपुढवीकाइया पज्जत्तया असंखिज्जगुणा 55, बायरआउकाइया पज्जत्तया असंखिज्जगुणा 56, बायरवाउकाइया पज्जत्तया असंखिज्जगुणा 57, बायरतेउकाइया अपज्जत्तया असंखिज्जगुणा 58, पत्तेयसरीरबायरवणस्सइकाइया अपज्जत्तया असंखिज्जगुणा 59, बायरणिओया अपज्जत्तया असंखिज्जगुणा 60, बायरपुढवीकाइया अपज्जत्तया असंखिजगुणा 61, बायरआउकाइया अपज्जत्तया असंखिज्जगुणा 62, बायरवाउकाइया अपज्जत्तया असंखिज्जगुणा ६३,सुहुमतेउकाइया अपज्जत्तया असंखिज्जगुणा 64, सुहमपुढवीकाइया अपज्जत्तया विसेसाहिया 65, सुहुमआउकाइया अपज्जत्तया विसेसाहिया 66, सुहुमवाउकाइया अपज्जत्तया विसेसाहिया 67, सुहुमतेउकाइया पज्जत्तया संखिजगुणा 68, सुहुमपुढविकाइया पजत्तया विसेसाहिया 69, सुहुमआउकाइया पजत्तया विसेसाहिया 70, सुहुमवाउकाइया पजत्तया विसेसाहिया 71, सुहमणिओया अपजत्तया असंखिजगुणा 72, सुहुमणिओया पजत्तया संखिजगुणा 73, अभवसिद्धिया अणंतगुणा 74, परिवडियसम्मद्दिट्ठी अणंतगुणा 75, सिद्धा अणंतगुणा 76, बायरवणस्सइकाइया पजत्तया अणतगुणा 77. बायरपजत्तया विसेसाहिया 78, बायरवणस्सइकाइया अपजत्तया असंखिजगुणा 79, बायरअपजत्तया विसेसाहिया 80, बायरा विसेसाहिया 81, सुहुमवणस्सइकाइया अपज्जत्तया असंखिजगुणा 82, सुहुमअपजत्तया विसेसाहिया 83, सुहुमवणस्सइकाइया पज्जत्तया संखिज्जगुणा 84, सुहुमपज्जत्तया विसेसाहिया 85, सुहुमा विसेसाहिया 86, भवसिद्धिया विसेसाहिया 87, गिओयजीवा विसेसाहिया-८८, वणस्सइजीवा विसेसाहिया 89, एगिदिया विसेसाहिया 90, तिरिक्खजोणिया विसेसाहिया 91,
SR No.004388
Book TitleAnangpavittha Suttani Padhamo Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages608
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, & agam_pragyapana
File Size11 MB
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