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________________ . पण्णवणासुत्तं प०.३ 383 गाण य पुग्गलाणं दयट्ठयाए पएसहयाए दव्वट्ठपएसट्टयाए य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! जहा पुग्गला तहा भाणियव्वा, एवं संखिज्जगुणकालगाण वि / एवं सेसावि वण्णा गंधा रसा फासा भाणियव्वा / फासाणं कक्खडमउयगरुयलहुयाणं जहा एगपएसोगाढाणं भणियं तहा भाणियव्वं / अवसेसा फासा जहा वण्णा तहा भाणियव्वा // 26 दारं // 216 // अह भंते ! सव्वजीवप्पबहुं महादण्डयं वण्णइस्सामि-सव्वत्थोवा गब्भवतिया मणुस्सा 1, मणुस्सीओ संखिज्जगुणाओ 2, बायरतेउकाइया पज्जत्तया असंखिजगुणा 3, अणुत्तरोववाइया देवा असंखिजगुणा 4, उवरिमगेविजगा देवा संखिजगुणा 5, मज्झिमगेविजगा देवा संखिज्जगुणा 6, हिटिमगेविज्जगा देवा संखिज्जगुणा 7, अच्चुए कप्पे देवा संखिज्जगुणा 8, आरणे कप्पे देवा संखिज्जगुणा 9, पाणए कप्पे देवा संखिज्जगुणा 10, आणए कप्पे देवा संखिज्जगुणा 11, अहेसत्तमाए पुढवीए णेरइया असंखिज्जगुणा 12, छट्ठीए तमाए पुढवीए णेरइया असंखिज्जगुणा 13, सहस्सारे कप्पे देवा असंखिज्जगुणा 14, महासुक्के कप्पे देवा असंखिज्जगुणा 15, पंचमाए धूमप्पभाए पुढवीए णरइया असंखिज्जगुणा 16, लंतए कप्पे देवा असंखिज्जगुणा 17, चउत्थीए पंकप्पभाए पुढवीए णेरइया असंखिज्जगुणा 18, बंभलोए कप्पे देवा असंखिज्जगुणा 19, तच्चाए वालुयप्पभाए पुढवीए णेरइया असंखिज्जगुणा 20, माहिंदे कप्पे देवा असंखिज्जगुणा 21, सणंकुमारे कप्पे देवा असंखिज्जगुणा 22, दोच्चाए सक्करप्पभाए पुढवीए णेरइया असंखिज्जगुणा 23, समुच्छिमा मणुस्सा.असंखिज्जगुणा 24, ईसाणे कप्पे देवा असंखिज्जगुणा 25, ईसाणे कप्पे देवीओ संखिज्जगुणाओ 26, सोहम्मे कप्पे देवा संखिज्जगुणा 27, सोहम्मे कप्पे देवीओ संखिज्जगुणाओ 28, भवणवासी देवा असंखिज्जगुणा २९,भवणवासिणीओ देवीओ संखिज्जगुणाओ 30, इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए णेरइया असंखिजगुणा 31, खहयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिया पुरिसा असंखिज्जगुणा 32, खहयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिणीओ संखिज्जगुणाओ 33, थलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिया पुरिसा संखिजगुणा 34, थलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिणीओ संख़िज्जगुणाओ 35, जलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिया पुरिसा संखिज्जगुणा 36, जलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिणीओ संखिज्जगुणाओ 37, वाणमंतरा देवा संखिज्जगुणा 38, वाणमंतरीओ देवीओ संखिज्जगुणाओ 39,
SR No.004388
Book TitleAnangpavittha Suttani Padhamo Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages608
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, & agam_pragyapana
File Size11 MB
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