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________________ 332 अनंगपविट्ठसुत्ताणि यवी परायचरित्तारिया य / सेत्तं बुद्धबोहियछउमत्थखीणकसायवीयरायचरित्तारिया। सेत्तं छउमत्थखीणकसायवीयरायचरित्तारिया / से किं तं केवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया ? केवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया दुविहा पण्णत्ता / तंजहासजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया य अजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया य / से किं तं सजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया / सजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया दुविहा पण्णत्ता / तंजहा-पढमसमयसजोगिकेवलिखीगकसायवीयरायचरित्तारिया य अपढमसमयसजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया य / अहवा चरिमसमयसजोगिकेवलिंखीणकसायवीयरायचरित्तारिया य अचरिमसमयसजोगिकेवलिखीणकसायचरित्तारिया य / सेत्तं सजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया / से किं तं अजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया ? अजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया दुविहा पण्णत्ता / तंजहापढमसमयअजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया य अपढमसमयअजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया य / अहवा चरिमसमयअजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया य अचरिमसमयअजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया य सेत्तं अजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया सेत्तं केवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया।सेत्तं खीणकसायवीयरायचरित्तारिया। सेत्तं वीयरायचरित्तारिया। अहवा चरित्तारिया पंचविहा पण्णत्ता / तंजहा-सामाइयचरित्तारिया, छेदोवट्ठावणियचरित्तारिया, परिहारविसुद्धियचरित्तारिया,सुहुमसंपरायचरित्तारिया, अहक्खायचरित्तारिया इत्तरियसामाइयचरित्तारिया य आवकहियसामाइयचरित्तारिया य / सेत्तं सामाइयचरित्तारिया। से किं तं छेदोवट्ठावणियचरित्तारिया ? छेदोवट्ठावणियचरित्तारिया दुविहा पण्णत्ता। तंजहा-साइयारछेदोवट्ठावणियचरित्तारिया य णिरइयारछेदोवट्ठावणियचरित्तारिया य / सेत्तं छेदोवट्ठावणियचरित्तारिया / से किं तं परिहारविसुद्धियचरित्तारिया ? परिहारविसुद्धियचरित्तारिया दुविहा पण्णत्ता। तंजहा-णिविस्समाणपरिहारविसुद्धियचरित्तारिया य णिविठकाइयपरिहारविसुद्धियचरित्तारिया या सेत्तं परिहारविसुद्धियचरित्तारिया। से किं तं सुहुमसंपरायचरित्तारिया ? सुहुमसंपरायचरित्तारिया दुविहा पण्णत्ता / तंजहा–संकिलिस्समाणसुहुमसंपरायचरित्तारिया य विसुज्झमाणसुहुमसंपरायचरित्तारिया य / से तं सुहुमसंपरायचरित्तारिया / से किं तं अहक्खायच
SR No.004388
Book TitleAnangpavittha Suttani Padhamo Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages608
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, & agam_pragyapana
File Size11 MB
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