SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 275
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 266 अनंगपविद्वसुत्ताणि होइ णखत्ता / एगससीपरिवारो एत्तो ताराण वोच्छामि // 1 // छावट्ठिसहस्साई णव चेव सयाई पंचसयराइं / एगससीपरिवारो तारागणकोडिकोडीणं . // 2 // 194 / / जंबूदीवे णं भंते ! दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरच्छिमिल्लाओ चरिमंताओ केवइयं अबाहाए जोइसं चारं चरइ ? गोयमा! एक्कारसहिं एक्कवीसेहिं जोयणसएहिं अबाहाए जोइसं चारं चरइ, एवं दक्खिणिल्लाओ पञ्चस्थिमिल्लाओ उत्तरिल्लाओ एक्कारसहिं एकवीसेहिं जोयण० जाव चारं चरइ // लोगंताओ भंते ! केवइयं अबाहाए जोइसे पण्णत्ते ? गोयमा ! एकारसहिं एक्कारेहिं जोयणसएहिं अबाहाए जोइसे पण्णत्ते / / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिजाओ भूमिभागाओ केवइयं अबाहाए सव्वहेट्ठिल्ले तारारूवे चारं चरइ ? केवइयं अबाहाए सूरविमाणे चारं चरइ ? केवइयं अबाहाए चंदविमाणे चारं चरइ ? केवइयं अबाहाए सव्वउवरिले तारारूवे चारं चरइ ?, गोयमा ! इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणि सत्तहिं णउएहिं जोयणसएहिं अबाहाए जोइस सव्वहेट्ठिल्ले तारारूवे चारं चरइ, अट्ठहिं जोयणसएहिं अबाहाए सूरविमाणे चारं चरइ, अट्ठहिं असीएहिं जोयणसएहिं अबाहाए चंदविमाणे चारं चरइ, णवहिं जोयणसएहिं अवाहाए सव्वउवरिल्ले तारारूवे चारं चरइ ॥सव्वहेट्ठिमिल्लाओ णं भंते ! तारारूवाओ केवइयं अबाहाए सूरविमाणे चारं चरइ ? केवइयं अबाहाए चंदविमाणे चारं चरइ ? केवइयं अबाहाए सव्वउवरिल्ले तारारूवे चारं चरइ ?, गोयमा ! सव्वहेट्ठिल्लाओ णं दसहिं जोयणेहिं सूरविमाणे चारं चरइणउईए जोयणेहिं अबाहाए चंदविमाणे चारं चरइ दसुत्तरे जोयणसए अबाहाए सव्योवरिले तारारूवे चारं चरइ // सूरविमाणाओ णं भंते ! केवइयं अबाहाए चंदविमाणे चारं चरइ ? केवइयं० सव्वउवरिल्ले तारारूवे चारं चरइ ?, गोयमा ! सूरविमाणाओ णं असीए जोयणेहिं चंदविमाणे चारं चरइ, जोयणसयअबाहाए सव्योवरिल्ले तारारूवे चारं चरइ // चंदविमाणाओ णं भंते ! केवइयं अबाहाए सव्वउवरिले तारारूवे चारं चरइ ? गोयमा ! चंदविमाणाओ णं वीसाए जोयणेहिं अबाहाए सव्वउवरिल्ले तारारूवे चारं चरइ, एवामेव सपुत्वावरेणं दसुत्तरसयजोयणबाहले तिरियमसंखेजे जोइसविसए पण्णत्ते // 195 // जंबूदीवे णं भंते ! दीवे कयरे णक्खत्ते सव्वभितरिलं चारं चरइ ? कयरे णक्खत्ते सव्वबाहिरिल्लं चारं चरइ ? कयरे णक्खत्ते सव्वउवरिलं चारं चरइ ? कयरे णक्खत्ते सव्वहिट्ठिल चार चरइ ? गोयमा ! जंबूदीवे णं दीवे अभीइणक्खत्ते सव्वभितरिल्लं चारं चरइ मूले णक्खत्ते सव्वबाहि
SR No.004388
Book TitleAnangpavittha Suttani Padhamo Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages608
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, & agam_pragyapana
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy