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________________ जीवाजीवाभिगमे प० 2 151 बंभलोए कप्प देवपुरिसा असं० तच्चाए पुढवीए णेरइयण० असं० माहिदे काप देवपु० असंखे० सणंकुमारे कम्पे देवपुरिसा असं० दोच्चाए पुढवीए णेरइयणपुंसगा अमं० अंतरदीवगअकम्मभूमगमणुस्सणसगा असंखे० देवकुरुउत्तरकुरुअकम्मभूमगमणुस्सणसगा दोवि संखे० एवं जाव विदेहत्ति, ईसाणे कप्पे देवपुरिसा असं० ईसाणकप्पे देविन्थियाओ संखे० सोहम्मे कप्पे देवपुरिसा संखे० सोहम्मे कप्पे देवित्थियाओ संखेज० भवणवासिदेवपुरिसा असंखे० भवणवासिदेविन्थियाओ संखेजगुणाओ इमीसे रयणप्पभाए पुटवीए णेरइयणपुंसगा असं० खहयरतिरिक्खजोणियपुरिसा संखेजगुणा खहयरतिरिक्खजोणित्थियाओ संखे० थलयरतिरिक्खजाणियपुरिसा संखे० थलयरतिरिक्खजोणित्थियाओ संखे० जलयरतिरिक्खपुरिसा संखे० जलयरतिरिक्खजोणित्थियाओ संखे० वाणमंतरदेवपुरिसा संखे० वाणमंतरदेवित्थियाओ संखे० जोइसियदेवपुरिसा संखे० जोइसियदेवित्थियाओ संखे० खहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियणपंसगा संखे०. थलयरणपुंसगा संखे० जलयरणपुंसगा संखे० चउरिंदियणसगा विसेसाहिया तेइंदिय० विसेसा० बेइंदिय० विसेसा. तेउकाइयएगिदियतिरिक्खजोणियणपुंसगा असं० पुढवी० विसेसा आउ० विसेसा० वाउ० विसेसा० वण'फइकाइयएगिदियतिरिक्खजो० णपुंसगा अणंतगुणा // 62 / / इत्थीणं भंते ! केंवइयं कालं ठिई पण्णत्ता 1 गोयमा ! एगेणं आएसेणं जहा पुट्विं भणिय, एवं पुरिसस्सवि णपुंसगस्सवि, संचिट्ठणा पुणरवि तिण्हंपि जहापुत्विं भणिया, अंतरंपि तिण्हंपि जहापुट्विं भणियं तहा णेयव्वं // 63 // तिरिक्खजोणित्थियाओ तिरिक्खजोणियपुरिसेहितो तिगुणाओ तिरूवाहियाओमणुस्सित्थियाओमणुस्सपुरिसेहिंतो सत्तावीसइगुणाओ सत्तावीसयरूवाहियाओ देवित्थियाओ देवपुरिसेहितो बत्तीसइगुणाओ बत्तीसहरूवाहियाओ। सेत्तं तिविहा संसारसमावण्णगा जीवा पण्णत्ता / / तिविहेसु होइ भेओ ठिई य संचिट्ठणंतरऽप्पबहुं / वेयाण य बंधठिई वेओ तह किंपगारो उ // 1 // से त तिविहा संसारसमावण्णगा जीवा पप्णत्ता / / 64 // // दोच्चा तिविहा पडिवत्ती समत्ता / पढमो रइय उद्देसो / तत्थ जे ते एवमाहंसु चउव्विहा संसारसमावण्णगा जीवा पण्णत्ता ते एवमासु, तंजहा-जेरइया तिरिवखजोणिया मणुस्सा देवा // 65 // से किं तं णेरइया ? 2 सत्तविहा पण्णत्ता, तंजहा-पढमापुढविणेरइया दोच्चापुढविणेरइया तच्चापुढविणेर०
SR No.004388
Book TitleAnangpavittha Suttani Padhamo Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages608
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, & agam_pragyapana
File Size11 MB
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