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________________ अपनी बात जैन समाज में स्वाध्यायशील बन्धु अल्प समय निकालकर भी आगमों का स्वाध्याय करना चाहते है / आगम और उनके अर्थ अति विस्तार वाले होने से रूचि होते हुए भी कई आगम रसिक स्वाध्यायी आगमों के अध्ययन से वंचित रह जाते हैं। इसकी पूर्ति हेतु आगम प्रेमी श्रावक रत्न श्री विमलकुमार जी नवलखा यत्र तत्र मुनिराजों की सेवामें आगमों का संक्षिप्त सारांश तैयार करने की प्रेरणा करने लगे। उन्हीं से प्रेरणा पाकर पूज्य श्रमण श्रेष्ठ बहुश्रुत श्री समर्थमलजी म. सा. के पट्टधर शिष्य तपस्वीराज श्री चम्पालालजी म. सा. के प्रथम शिष्य नवज्ञान गच्छ के प्रमुख आगम मनीषी मुनि, श्री तिलोकचन्द्रजी म. सा. ने परम पूज्यनीय पं० रत्न मुनि श्री कन्हैयालालजी म. सा. "कमल" की आज्ञा होने पर बड़ी लगन के साथ सूत्रों के सारांश तैयार किए। इसके लिए स्वाध्यायी समाज सदा आपका चिर ऋणि रहेगा। ये संक्षिप्त सारांश पाठकों के लिए अत्यन्त उपयोगी होने से इसके प्रकाशन हेतु सिरोही में आगम नवनीत प्रकाशन समिति की स्थापना की गई और आगम नवनीत माला पुष्प-१ से 32 का प्रकाशन प्रारम्भ किया गया। सम्पन्न उदार महानुभावों से यह निवेदन है कि वे अर्थ. सहयोग कर इस समिति की कार्य क्षमता में चार चांद लगावें। सुकृत सहयोगी दर१. संस्थापक-५०००/= रु०, 2. संरक्षक-२५००/ = रु०, 3. सहायक१०००/= रु०, 4. सदस्य-५००/= रु०, आगम प्रेमी ग्राहक-२००/= रु,एवं अग्रिम ग्राहक जून, 1990 तक 100/= रु० विशेष:- इसका गुजराती अनुवाद भी प्रकाशित करने का प्रयत्न है इसमें रुचि रखने वाले उदारमना श्रावक सम्पर्क करें। -सम्पर्क सूत्र पुखराज जैन पंजाब नेशनल बैंक सिरोही (राज.)
SR No.004386
Book TitleAcharang Sutra Saransh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgam Navneet Prakashan Samiti
PublisherAgam Navneet Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages60
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aagam_saar
File Size6 MB
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