________________ उपस्थापना [79] एवं सो पण्णवितो जदि इच्छे तो उवट्टवेती तु / णेच्छंते पंचाहं ठंती दो तिणि वा पणगा // 712 // वत्थु सभावा सज्ज व जाऽधीतं ताव तं परिच्छंति / एवं रायअमचे संजतिमज्झे महादेवी / दा // 713 // राया रायाणो वा दोणि विसमपत्त दोसु पासेसुं। ईसरसेडिअमचे णियम घडा कुल दुवे खुड्ड // 714 // समयं तु अणेगेसुं पत्तसु अणभिओगमावलिया। एगतो दुहतो व ठिता समराइणिता जहासण्णं 718 इसिं अणोयइत्ता वामे पासमिन होति आवलिया / अहिसरणम्मि घ वढि ओसरणे सो व अण्णो वा। दा // 716 // उवठावियस्स एवं संभंजणता तहेव संवासो। वितियपदं संबंधी ओमादिसु मा हु बहिभावं 717 भुंजीसु भए सद्धिं इयाणि णेच्छति तु मातु बहिभावं। अहिखायंति च ओमे पच्छन्ने जेण भुंजंति // 718 // एमादिणा तु भावं ताहे अप्पत्त अहव पत्तं वा। उवठावेतुं भुंजति अपरिणते चित्तरक्खट्ठा // 719 // उवठाधिए संभुत्त संवासो एत्य होति कायव्वो। वितियपए संवसेज्जा अणुवट्ठवियं पिमेहिं तु 720