________________ [60] पञ्चकल्प-भाष्ये णिप्फेडियमिच्छंता रक्खियमालंघणं ववदिसंति। मूलविणट्ठो व वडो जह चिट्ठति लग्गपादेसु // 541 // एवं तु मूलसुत्तं छड्डेतुं ते तु लग्गसाहासु। साकारणणिप्फेडी णिकारणओ य पडिकुट्ठा // 542 // जे केई सेहस्सा बालादीता मए समक्खाया। ते चेव य सविसेसा गुव्विणि तह बालवच्छासु 543 कह ते तु संभवंती गम्भम्मी तम्मि चेव बाले य। दिट्ठा तु बालदोसा होज्ज कदादी णपुंसो वी // 544 // एवं अवसेसा वि णवरं मोत्तूणिमे तहिं अणले / वुड्ढं जड्डुसरीरं तेणं रायाऽवकारिं च // 545 // दासमणत्तं च तहा ओबद्धं भतग सेहणिप्फेडिं। अविसेस अणलदोसा भइयव्वा गुठ्विणीए उ // 546 अहवा वि गुग्विणीए अण्णे दोसा इमे भवंती हु। कायभवत्थो बिंबं वतिकितिविणयम्मि व मरेज्जा। कीवे तेणे रायावकारि दुटे य सेहणिप्फेडे। गुव्विणिए य जहक्कम वोच्छं आरोवणं इणमो // 548 // मूलं चतुगुरु पारंचिया दुवे चउगुरुं तओ मूलं। अहवाऽवकारि मोत्तुं सेहं वा सेस मूलं तु // 549 / /