________________ मूढस्य भेदाः [51] परपक्खे परपक्खे दंडियमादी पदुट्ठ परदेसे / उवसंते वा तत्थ उ दमगादि य दुट्ट भइतो वा // 460 तिविही य विसयदुट्ठो सलिंग गिहिलिंग अण्णलिंगे य। अहवा सव्वोऽवि दुहा सपक्ख परपक्ख चउभंगो॥ सपक्खे विसयदुट्ठो सपक्ख पारंचिओ तु आउद्यो / अठियम्मि लिंगहरणं एमेव सपक्खपरपक्खे // 462 // परपक्खं तु सपक्खे विसयपदुढे ण तं तु दिक्खंति / सेज्जियमादि पदुटुं ण य परपक्खं तु तत्थेव // 463 // दव्वदिसखेत्तकाले गणणा सारिक्ख अभिभवे वेदे। बुग्गाहणमण्णाणे कसायमत्ते य मूढपदा // 464 // दव्वे दुह पाहि अंतो अंतो धत्तूरगादि बहि धूमो। जाव दवियं ण याणति घडियाबोद्दो व दिर्सेपि 460 दिसमूढो पुव्वमवरं मण्णति खेत्तम्मि खेत्तवच्चासं / दियरातिविवच्चासी काले पिंडारदिट्टतो // 466 // जह कोई पिंडारो खीराणसद्धाए रत्ति (पाउ) पासुत्तो अन्भच्छपणे उठिओ मण्णति जह वट्टए रत्ती // 46 // महिसीओ पविसंतो दिट्ठो लोएण हसियतो ताहे। किं एयं ति य भणियं एमादी कालमूढो सो // 468 //