________________ बालान् शिक्षापयतः प्रायश्चित्तम् [25] मूलणवद्रं च तओ पारंचियमेव होति एकेक / सिक्खामिक्खपगारा उक्कोसे होति बालेते // 219 // अहवा सो चेव गमी दिहिं सिक्खितरवज्जिए होति। मासादि तव छेदा मूलाईया दिणेकेकं // 220 // एमेव मज्झिमे वी णवरं दिवसा तु वीस वीसं तु। एमेव जहण्ण वी उगुवीसु गुवीस दिवसा तु // 221 // अहवा मज्झे मीसा जहण्ण छेदादी अन्नपरिवाडी। तवछेदेगंतरिया मज्झे जहण्णे तु भयणाए // 222 // मज्झिमि वीस लहुओ सिक्खमसिक्खस्स मासिओ छेदो। वीलपणछेदो लहुओ सिक्खमसिक्खणे गुरुगो॥ तवो अड्ढोवती एवं तवछेदगंतरा तु णेयव्वा / जा छम्मासा ता चतु परओ मूलादि एकेकं // 224 // अउणावीस जहण्णे सिक्खाविंतस्स मासिओ छेदो। सो चिय सिक्ख गुरुओ जा छग्गुरु तिणि परओतु अहवा ण होइ छेदो ठाणे चिय मूल तह य अणवट्ठो। पारंचिए य तत्तो एवं भयणा जहण्णस्स // 226 / / अहवा पढमे छेदो तद्दिवसो चेव हवइ मूलं वा। एमेव होति बीए तइए पुण होति मूलं तु // 227 // किं कारण सोधेसा दोसा तहियं इमे समक्खाता / पव्वाविएसु तेसुं उड्डाहाई मुणेयव्वा // 228 /