________________ [8] पञ्चकल्प-भाष्ये छट्ठाणे दंसणे वुत्ते संजमेत्ति यावरे / गाहणा य चरित्तस्स एमे ता पडिवत्तीओ। एताओ दारगाहाओ / / 58|| कप्पो य होइ दुविहो जिणकप्पो चेव थेरकप्पो य। दुविहो उ कप्पिओ खलु दव्वे भावे य णायव्यो।।५९।। आगम णोआगमओ दवम्मी ऋप्पिओ भवे दुविहो। आगमतो णुवउत्तो णोआगमओ इमो होति // 60 // जाणगसरीर भविए तव्वतिरित्ते य होति णायव्यो / जाणग मयगसरीरं भविआ पुण सिरिकहि जो तु / 61 // वतिरित्तो एगभवी बद्धाउ अभिमुहो य बोधव्वो। भावेऽवि होति दुविहो आगम णोआगमे चेव // 6 // आगमओ उवउत्तो णोआगमओ य पिंड माईणं। गहणाम्मि कप्पिओ खलु पव्वावेतुं च सेहाणं // 6 // जं जं जोग जतीणं आहारादी तहेव सेहा य / एयं तु कप्पणिज्जं अपरिग्गहणा अकप्पम्मि // 64 // आहारे पलंबादी सलोममजिणादि होति उवहीए। सेज्जाए दगसाला अकप्पसेहा य जे अण्णे // 65 // केरिसयं कप्पणिज्ज ? फासुयगं फासुयं तु केरिसगं? जीवजदं जं दव्वं तंपि य जं एसणिज्जंतु // 66 //