________________ द्रव्यादीनि नवस्थानानि [223] अववाएणं गहणं उस्तग्गो चेव होति सो ताहे। गिण्हंतस्स तुकारणि सुद्धी तह चेव बाधवा 2001 जह मेहंतुस्सग्गे सुद्धी उवहिम्स एव वितिएणं। गेण्हतस्स विसुद्धी साणं एवमक्वायं // 2002 // अहवः वि इमे अण्णे णव उ ठाणा वियाहिता। दवादीयाउ इणमो वोच्छामि अणुपुध्वसो // 2003 // दब्बे खेत्ते य काले य वसही भिक्खमंतरे / सज्झाइए गुरू जोगी एते ठाणा वियाहिता // 2004 // दव्याणाऽऽहारादीणि जादितु सुलभाई तंमि खेत्तंमि खेत्तं विच्छिन्नं खलु वत्तंत सुणेंतगगणस्त // 2005 // पत्तण परियहती सुणेति अत्थं गणो तु बालादी। तस्स पहुचति खेत्तं आहारादीहिं संथरणं // 2006 // काले ततियाए वेला वसही जोग्गातु भिक्खसुलभंति ग विगिट्ठमंतरा तं सज्झाओ सुज्झति जहिं च // सुलभं आयरियाणं जोरगं जोगीण सुलभ पाउग्गं / एते ते णव ठाणा जहिं उस्सग्गेण गहणं तु॥२००८॥ उस्सग्गेण विहारो संथरमाणाण णवसु खेत्तेसु / तो सव्वुग्घादुवही व पल्ले यावि दगघट्टे // 2009 //