________________ [222] पञ्चकल्प-भाष्ये एजुद्देसणकप्पो अहुणा वोच्छं अणुकतु / कम्ही काले गहणं बस्थादीणं अणुण्णा !!1992 / / वत्थं पादरमहणे वासायासेसु जिग्गमो सरदे / तिगपणासत्तादुगाउयमि अप्पोदगं जागे // 1993 // वत्यादीण गहणं णाणुण्णातं तु हाति वा सामु। वासादीय हरेणं दुमसे अण्णे उ गण्हति // 1994 // तोलें पुण णेंनाणं सरदे जदि दाह गाउयागं तो। दगसंघजहण्णेण तिन्नि पंचव मज्झिमगा // 1995 // सतंब उ उक्कोसा गिम्हंमी तिन्नि पंच हेमंते / वालासु य सत्त भवे परेण खेत्तं गणुग्णानं // 1996 अप्पोदगत्ति मग्गा जं तं रीयासु वणितं पुविं। तं अद्धद्धे जोयणे दगघट्टा जाव सत्तेव // 1997 // वत्थं पातग्गहणे णवसंथरणमि पढमठाणंमि / एत्तो वतिक्कमम्मि तु सट्टाणासेवणा सुद्धी // 1998 // पढमं ठाणुस्सग्गो तेणं तू नवसु होति खेत्तेसु / वत्थादीणं गहणं तत्थेव य होति उ विहारो // 1999 / / णवठाणातिकमे पुण भवई सट्ठाणतो विसुद्धो तु / किं पुण तं सट्ठाणं अववादो असति तो होति 2000