________________ जिनकल्पिकादीनामाचारः ज [169] पिंडेसण पाणेसण उग्गह उद्दिट्ट भावणा चेव / बारस य भिक्खुपडिमा एवमादी भवे कप्पो 1515 पिंडेसण पाणेसण पंचुवरिमया सभिग्गहेगा य। सेसासु य अग्गहणं सेज्जोग्गह उवरिमा दोसु 1516 उद्दिहित्ती हेट्ठा जिणकप्पविहीं तु जो समक्खाओ। खेत्ते काल चरित्ते इच्चाइ तहेव उ इहइंपि // 517 / / पणुवीस भावणाओ महब्बयाणं तु होति पंचण्हं / बारस अणिच्चतादी तवसुत्तादी य पंचेव // 218 एताहिं भावणाहिं भावती ते उणिचमप्पाण। सव्यवि गच्छणिग्गत वेरग्गपरायणा वीरा :1610 बारस भिक्खूपडिमा आदिग्गहणेण लंदिया चव / तह सुद्धपारिहाही सव्वोऽवेसो भवे कप्पो // 1.20 // णिच्छय णिरासणिम्मम णिरहंकार परभट्ट दृढजोगी। चत्तसरीर कसाया इंदिरागामा य णिग्गहिया 1521 जंचऽण एवमादी सव्वणयविहाण आगमविसुद्धं / कप्पो त्ति णाणदंसण चरित्तगुणमावहं जाणे 1522 णिच्छयमतिणो णिच्छयणहिता ण उद्विता तु ववहारे। अहवा विणिच्छतो तू णाणादीयं भवे ततियं / /