________________ (17) थी 76 छंदा, रोषा आदि सोल प्रकारनी प्रवज्या अने एना उदाहरणो। उपस्थापनाविधि। अढार प्रकारनो लोकपिड / भोजनविधि / पूतिविशेष / थी 94 उपधिकल्प, जिनकल्प, स्थविरकल्प अने साध्वीनी उधिनुं प्रमाग। वीस प्रकारना उपधिना उपघातो। साडी पच्चीस आर्यदेश। विहारयोग्य क्षेत्रना गुगो। अनायतनो। . 113 थी 123 कालकल्पमा मासकल्प, पर्युषणासामाचारी, . वृद्धवास, पर्यायकल्प, कायोत्सर्ग, प्रतिक्रमग, कृतिकर्म अने पडिलेहणानुं स्वरूप / भावकल्पमां दर्शनकल्प। 130 थी 140 ज्ञानकल्पमां सूत्रकरंग, उद्देशकल्प, वाचनाना गुणो, वाचनाविधि, प्रच्छनाकल्प अने अध्यापन योग्य आचार्य उपाध्यायचं स्वरूप / 141 थी 167 स्थितकल्प, अस्थितकल्प, जिनकल्प, स्थविरकल्प, लिंगकल्प, उपधि कल्प भने संभोगकल्प, एम सात प्रकारनो चारित्रकल्प। 168 . . कल्प, प्रकल्प आदि दश कल्पनुं निरूपण / नामकल्प, स्थापनाकल्प आदि वीस प्रकारना कल्पनु निरूपण।