________________ वृद्धवासे यतना [19] दो संघाड अडंती भिक्खं एको य गेण्हए उवहिं। थेर दुवे जीणे सत्तसु जयणेसालित्त (भिक्ख) मादीसु बुड्ढावाम जगणा खेत्ते काले वसहीय संथारे। खित्तम्मि णवगमादी हाणी जावेकभागोतु // 1070 // धीरा कालच्छेदं करेंति अपरकमा तहिं थेरा। कालं च अविवरीयं करिति तिविहा तहिं जयणा 1071 कालच्छेदो मासं अण्णा वसही तु भिक्खमादीणि / अहसु उडुबद्धेमुं चउमासे सेलवासासु // 1072 // कालं अग्विवरीयं उडुबद्धे वासवासियं ण करे / वासादामे य नहा उडुबद्धं वावि ण करिति // 1073 // तिविहजयणेत्ति इणमोतिविहणुकंपातु होइ वुड्ढस्स। जह कायवा इणमो तमहं वोच्छं समासेणं // 1074 // आहारे जयणा वुत्ता तस्स जोगे य पाणए / णियया मउया चेव छविताणेसणादिसु। कालदारंगतं काणिदृपः आमे पिंडघरे व तह य दारुघरे। कडगे कडगलणघरे वोच्छत्थे होंति चउ गुरुगा। कोटिमार वसंतो आलित्तम्मि ण डज्झए तेणं / काणिगादिगहणं रक्खइ य णिवानवसही तु 1077