________________ [118] पञ्चकल्प-भाष्ये भमो वा पित्तमुच्छा वा उद्धसासो व खुभति / गतिविरिए विऽसंतम्मि एवमादी ण रीयति // 1060 // गच्छपरिमाणतो तू सहायगा तस्स होंति कायव्वा। सत्तेव जहण्णेणं तेण परं होंति गावि // 1061 // चउभागतिभागद्धे सव्वेसिं गच्छतो परीमाणं / संतासंतअसंती वुड्ढांवासं वियाणाहि // 1062 // अट्ठावीसं जहण्णेण उक्कोसेणं सतग्गसो / गच्छं गच्छं समासज्ज चउभागादी विभायए 1063 जइ होंति अट्ठवीसं चउहा गच्छो उ तो विभज्जति तु सत्त उ चउभागणं ते दिज्जती सहाया उ // 1064 // पुण्णम्मि मासे तो णिती सत्त अण्ण उवेंति उ / एवं अतिति णिति य मास मासम्मि सत्त उ 1065 // एवं दोसा ण होती तु उवट्ठावणादि जे भवे। तेणं तु अट्ठवीसाए चउभागा विभज्जिता // 1066 // अट्ठावीसं ऊणा दुहासतीए उ ते हवेजाहि / संता असती अगीया बाला वुड्ढा अजोग्गा वा 1067 असंता सतीण पुजंति ततिया तेण तिण्णिदुणिको। भागा उ विभइयव्वा इगवीसा चोदसत्तण्हं // 1068