________________ [68] सटीकश्रावकप्रज्ञप्त्याख्यप्रकरणं / सो खंधावारो तीए गंधं ण सहइ / रन्ना पुच्छियं-कि एयं तेहिं कहियं दारियाए गंधो गंतूणं दिट्ठा भणइ एस एव पढम पुच्छत्ति गओ वंदित्ता पुच्छइ तओ भगवया तीए उट्ठाणपारियावणिया कहिया / तओ राया भणइ कहिं एसा पञ्चणुभविस्सइ सुहं वा दुक्खं वा / सामी भणइ एएण कालेण वेइयं इयाणि सा तव चेव भज्जा भविस्सइ अग्गमहिसी // अट्ठ संवच्छराणि जाय तुम्भं रममाणस्स पट्टीएहं सो लीलं काहिइ तं जाणिज्ज सुवंदित्ता गओ। ‘सा य अवगयगंधा आहीरेण गहिया संवढिया जोव्वणत्था जाया। कोमुइचारं मायाए समं आगया। अभओ सेणिओ य पच्छन्ना कोमुइचारं पेच्छंति / तीए दारियाए अंगफासेण सेणिओ अज्जोववन्नो नाममुदं दसिया तीए बंधइ / अभयस्स कहियं नाममुद्दा हरिया मग्गाहि / तेण मणुस्सा दारेहिं बद्धेहिं ठविया / एक्केकं माणुस्सं पलोएऊण णीणिज्जइ / सा दारिया दिट्ठा चोरिति गहिया परिणीया य / अन्नया य वस्सोकेण रमंति रायणं राणियाउ पोत्तेण वाहिति / इयरी पोनं दाउं विलग्गा स्ना सरियं मुक्का य पव्वइया / - परपाषण्डप्रशंसायां चाणक्यः / पाइलिपुत्ते चाणको चंदगुत्तेण भिक्खुकाण वित्ती हरिया। ते तस्स धम्मं कहेंति / राया तुस्सइ चाणकं पलोएइ ण पसंसइ तेण - न देइ / तेहि चाणकमज्जा उलग्गिया ( उलभिया) तीए सो करणी गाहिउ