________________ सुभाषितसूक्तरत्नमाला विचारणा अधमने उत्तम बनावे छे उवसम-विवेग-संवर-पयचिन्तवणवज्जदलियपावगिरी / सोडुवसग्गो पत्तो, चिलाइपुत्तो सहस्सारे // 29 // विचारणा शान-जैनीदृष्टि नूतनजलधररूचये, देववधूटीनेत्रमुकुराय / तस्मै पार्थाय नमः, संसारमहीरूहकुठाराय // 30 // मिथ्यादृष्टि नूतनजलधररूपये, गोपवधूटीदकुलचौराय / तस्मै कृष्णाय नमः संसारमहीरूहवीजाय // 31 // पांच पकार जेनी पासे होय ते संसारमा न पडे पूआ पञ्चक्खाण, पडिक्कमणं पोसहो परूपयारो। पंच पयारा जस उ, न पयारो तस्स संसारे // 32 // ज्ञानीओर्नु सकाममरण सश्चिततपोधनानां, नित्यं व्रत-नियम-संयमरतानाम् / उत्सवभूतं मन्ये, मरणमनपराधवृत्तीनाम् // 33 // ___ नतु परमार्थतः तेषां मरणं प्रति सकामत्वं, मरणाभिलाषस्य निषिद्धत्वात् , उक्त हिमा मा हु विचिंतेज्जा, जीवामि चिरं मरामि अ लहुंति। . जइ इच्छसि तरि जे, संसारमहोअहिपारं // 34 // अवधिज्ञानविना पण मनापर्यवज्ञान होई शके अवधिज्ञानमन्तरेण मनःपर्यवज्ञानस्य संभवात् , सिद्धप्राभृतादौ तथाऽनेकशोऽभिधानात् // ....