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________________ 188 | बाहुबलि तथा बादामी चालुक्य पटोलेमे (Ptolemy-C150 ई.स.) ने अपनी पुस्तक अ Guide to Geography में पहली बार बादामी का उल्लेख Badiamaioi से किया था। तथापि, राजा पुलकेशी प्रथम (सी.ई 543) के पुरालेख में वातापी का उल्लेख संस्कृत में किया गया है। कहीं कहीं कुछ पुरालेखों में बादामी का बादावी तथा बादामी के रूप में भी उल्लेख मिलता है। हालाँकि लेखक बादावि का प्रयोग योग्य मानता है फिर भी वह बादामी तथा वातापी का इस्तेमाल कर सबके साथ जाना चाहता है। पुरालेखों में अन्य जो भिन्नताएँ दिखाई देती हैं वे हैं- चलिक्य, चलुक्य, चलुकिन, चलुक्कि,चळिक,चुळकि,चाळु तथा चलुक्य। संभवतः जेम्स बर्गर (1874) तथा हेन्री कजिन्स (1926) ने राजवंश का नाम इण्ग्न्व्हा इसप्रकार लिखकर प्रचलित किया हो। इसकी व्युत्पत्ति बताते समय इसका संबंध सल्लकि (बेळवल) नामक वनस्पति के साथ भी जोडने का प्रयास किया गया था, जो उस क्षेत्र में पायी जाती थी। मैं यह कहने का साहस करना हूँ कि चाहता यह प्रदेश बेळवोला विषय या बेळवोला प्रदेश के नाम से जाना जाता है इसका कारण है यहाँ की यह सल्लकि या बेळवल वनस्पति। अतः चलुक्य तथा चालुक्य शब्द की व्यत्पत्ति तथा उसका संबंध सल्लकी से करना उचित होगा। इसलिए चालुक्य का अर्थ है / सल्लिक वृक्ष जहाँ होते है उस प्रदेश के लोग। अतः बिलकुल स्पष्ट है कि चालुक्य भारतीय परिवार है और उनके नाम का संबंध सल्लकि से है। __जिन विद्वानों, इतिहासकारों तथा लेखकों ने चालुक्यों पर पुस्तकें, लेखादि लेखें - है उनमें से कुछ इस राजवंश को पश्चिमी चालुक्य मानते हैं तो कुछ बादमी या वातापी के चालुक्य मानते हैं। चालुक्य शब्द का भिन्न भिन्न प्रकार से भी प्रयोग किया गया दिखाई देता है जैसे छलुक्य, छालुक्य, चलुक्य, चालुक्य आदि। कवि रविकीर्ति ने इस राजवंश का उल्लेख चालुक्यन्वय के रूप में किया है अतः इसको मानक माना जाना चाहिए। व्यक्तिगत नाम पुलकेशी के भी कई भिन्न रूप पुरालेखों में मिलते हैं, जैसे- पोलेकेशि, पोलकेशि, पोलिकेशि, पोलेकेसि, पुलिकेशि, पुलकेशि, पुलेकेशि आदि। चालुक्य का राजकवि, मंत्री, सेनाध्यक्ष रविकीर्ति ने अपने अधिपति के लिए पोलकेशि शब्द का प्रयोग किया। चामराज जिले के केरेहळ्ळि पुरालेख (शक 827) में संस्कृत भाषा में स्पष्ट रूप से लिखा है कि, चलुक्यवंशज महा नृपति (उइ. लळ (ढ) चामराजनगर 354. पृ. 230 ,पंक्ति 47) परवर्ति चालुक्यों का दरबारी कवि नागवर्म ने (1042) (तथा कई पुस्तकों का लेखक) काव्यावलोकन में पोलकेसिवल्लभ की वीरगाथा को दर्शाते हुए एक पद लिखा है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004380
Book TitleBahubali tatha Badami Chalukya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagarajaiah Hampa, Pratibha Mudaliyar
PublisherRashtriya Prakrit Adhyayan tatha Anusandhan Sanstha
Publication Year2014
Total Pages236
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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