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________________ 184 | बाहुबलि तथा बादामी चालुक्य भूमिका निभाई है। इसी के साथ अन्य दो प्रसिद्ध यक्षीयाँ ज्वालामालिनी तथा पद्मावती का पदार्पण भी उल्लेखनीय है। इसीप्रकार श्याम धरणेन्द्र तथा सर्वाह्न यक्ष भी इसी काल में आते हैं। मूर्ति-भंजन सबंधी निर्धारित प्रतिमापरक मानदंड के साथ सौंदर्यगत उत्कृष्टता अपने चरम शिखर पर पहूँची थी जिसका सीधा प्रभाव परवर्ति जैनों का (अभिघटन कला) प्लास्टिक कला पर पड़ा था, जो कि समृद्ध तथा शानदार शिल्प कौशल का प्रमाण तथा चालुक्यों के युग की कलात्मक प्रतिभा ही है। कला के इतिहास में एक नया अध्याय खोलकर जैनों के शिल्पकार तथा उत्कृष्ट शिल्पकला कौशल तथा शासनदेवता एक नए युग के प्रारंभ को ही दर्शाते हैं जिससे विदेशी घटकों को सम्मिलित करने तथा स्वदेशी संवेदना को व्यक्त करने का अवसर मिला। बिजवाड की नटुंबा बसदी वेंगी चालुक्यों का शाही मंदिर (पट्ट जिनालय) था। .. इतिहासकारों की स्थापना है कि जैनों का आगमन तथा उनकी सफलता ई.पू. चौथी तथा तीसरी सदी से प्रारंभ हुई। खारवेल, कलिंग का सम्राट (ई.पू. दूसरी सदी) तथा जैनधर्मनिष्ठ, ने तटीय प्रदेश ओरिसा से आंध्र तक जैनधर्म को लोकप्रिय बनाया। इसी के साथ साथ बादामी चालुक्यों ने इस धर्म का प्रचार प्रसार किया तथा उसे और मजबूत बनाया। फिर जैनधर्म ने पूर्वी चालुक्यों के शासनकाल के दौरान में प्रगति की। अनेकांतमत को बढावा देने का श्रेय,पूर्वि चालुक्यों को जाता है जिनमें से कुछ प्रोत्साहन तथा अनुनय से जैन बने थे। राजा विष्णुवर्धन तृतिय की रानी अय्यण महादेवी ने शक 684 में मुसिनिकुंड का बिजवाड में स्थित जैन मंदिर नटुंब बसदी का नविनीकरण, संघान्वय तथा कवरूरि गण के गुरु कालिभद्राचार्य द्वारा किया / (Saletore-251) छत सजावट ___ छत पर बने शिल्प की अपनी कुछ विशेषताएं हैं जो तत्कालिन युग की सामान्य तथा प्रिय विषय के अनुरूप हैं। इसी के साथ सजावटी मूर्तिकला कुछ ऐसी विशेषताओं को भी दर्शाति हैं जो विशेषरूप से उस क्षेत्र से संबंधित है जहाँ उस मंदिर का उत्खनन किया गया हो या बनवाया गया हो। ऐहोळे की मीना बसदी में आयताकार वीथिका की छत जो जमीन की सतह से 10.43 0 2.63 मीटर, ऊँची ऊपर है, समकालीन युग के लोकप्रिय आकृतियों से अलंकृत है। यह छतें मुख्य रूप से फूलों तथा अन्य सजावटी कला से अलंकृत Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004380
Book TitleBahubali tatha Badami Chalukya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagarajaiah Hampa, Pratibha Mudaliyar
PublisherRashtriya Prakrit Adhyayan tatha Anusandhan Sanstha
Publication Year2014
Total Pages236
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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