________________ चौदह क्षेत्रोंसे संबद्ध प्रश्रोत्तरी दर्शन, पूजन सिवाके समयमें बंध रखा जाय, जिससे प्रभु दीख न पड़े / (7) रोज शाम आरती उतारनी चाहिए / (8) घरदेरासरमें शिल्पविषयक -लोहेका उपयोग न करना, दृष्टि मिलाना आदि-नियम लागू नहीं होते / (9) घरके सभी बाहर जानेवाले हों, पडोसी भी पूजा कर पाये ऐसी हालत न हो, तब उतने समयके लिए प्रभुको संघ देरासरमें स्थापित करें / पुनः घरमें लाते समय, सात नवकार गिनकर प्रवेश कराये (10) घर देरासरकी सारी वस्तुएँ चावल, वादाम, फल आदि, भंडारकी रकम आदि संघ देरासरमें भेज दिया जाय / (11) बहारके लोग पूजा करनेके लिए आये, ऐसी व्यवस्था करनी हो तो, देरासरकी सीडी या द्वार बिल्कुल अलगसे रखे, जिससे घरके लोगोंके साथ उनका संपर्क न हो / प्रश्न : (30) कोई पुण्यात्मा स्वद्रव्यमेंसे दस लाख रूपयोंका खर्च कर शिखरबंद जिनालय बनाने के लिए तत्पर है / इस जिनालयकी रकम, वह जहाँ जहाँ साधारण खातोंमें रकमकी आवश्यकता हो, वहाँ जमा कराये और उस संघके पाससे उतनी ही देवद्रव्यकी रकम प्राप्त करें और उस रकममेंसे देरासर बनाये तो उसमें कोई आपत्ति समजी जाय ? इससे दो लाभ उसे होंगे / देरासर बन पाये और अनेक संघोके साधारण खाते समृद्ध हो अथवा देवद्रव्यकी लोन भरपाई हो सके / उत्तर :- जिस दाताने जितना स्वद्रव्य देरासरमें लगानेका दृढ संकल्प किया हो, उतनी वह रकम देवद्रव्य बन पाती है / इस रकमको अन्य संघोंके साधारण खातोंमें जमा नहीं करा सकता, परंतु उसमें निश्चित संकल्पसे उपर रकम जाय : मानों दस लाखका संकल्प है, और देरासरका काम बढ़ जानेसे. या महँगाई बढ़नेसे बीस लाख तकके खर्च होनेकी संभावना हो तो, उपरकी रकमके जो दस लाख रूपये होंगे, उसमें उस दाताका देवद्रव्य खातेमें खर्च करनेका संकल्प न था, अतः इस साफ रकमको अन्य संघोंके साधारण खातोंमें दे सकता है / इसके बारेमें वे संघ उसे देवद्रव्यकी रकमकी बराबरी रकम या कम बहुत दे सकते हैं / उस रकमका उपयोग, अपने देरासरके बाकी रहे दस लाख रूपयोंके कामोंमें वह कर सकता है / लेकिन अब वह देरासर उसका निजी-स्वद्रव्यसे बना हुआ है, ऐसा दाता कह नहीं सकेंगे / उन्हें, अन्य संघो द्वारा दी हुई देवद्रव्यकी रकमोंकी .