________________ चौदह क्षेत्रोंसे संबद्ध प्रश्नोत्तरी उत्तर : योग्य नकरा लेनेमें कोई आपत्ति नहीं / नकरेकी रकमको देवद्रव्यमें जमा करें / सचमुच तो प्रतिमा लेनेवाले व्यक्तिको चाहिए कि नकरेकी चिंता छोडकर, अंजलि भर भर धन देकर प्रतिमा लेनी चाहिए। प्रश्न : (6) नये देरासरों में नयी प्रतिमा तैयार कर प्रतिष्ठित करनेकी अपेक्षा, प्राचीन प्रतिमाकी -जिसकी शायद ही पूजा होती है - प्रतिष्ठा करना, यही उचित नहीं है ? नई प्रतिमाके निर्माणके कारण पुरानी प्रतिमा अपूज पड़ी रहती है ? उत्तर : भाई ! व्यक्तिकी भावना यदि नूतन प्रतिमाके लिए ही उमडती हो तो, उसे रोका नहीं जा सकता / नूतन जिनबिम्ब की अंजनशलाकाका लाभ प्राप्त हो, उनके पाँच कल्याणकोंकी मनौती-महोत्सव हजारों लोगोंके लिए दर्शनीय बन पड़े / उससे अनेक लोगोंको सम्यग्दर्शनादिका लाभ प्राप्त हो / नया बिम्ब कारीगरोंको मुँहमाँगे दाम देकर विधिवत् प्रतिमा निर्मित किया जाय तो बिम्ब अत्यंत आकर्षक और आह्लादक बननेकी पूरी संभावना है ।अत: इस बातका हठाग्रहपूर्वक विरोध न किया जाय / अन्यथा प्राचीन प्रतिमामें अनेक भूतकालीन महासंयमी जैनाचार्योंके शुभहस्तोंसे प्राणप्रतिष्ठा हुई हो, जिससे प्रतिमाके अधिष्ठायक जाग्रत हो... ये सारे लाभ भी कम नहीं हैं। ___ 'मूलशुद्धि प्रकरण' शास्त्रमें कहा है कि नवीन बिम्बकरणात सीदत्परकृतं बिम्बपूजनं बहुगुणम् / ' प्रश्न है उत्साहका.... जिसका जिसमें उल्लास / प्राचीन प्रतिमाएं यदि अपूज रहती हों, तो उसकी उपेक्षा न करें / उसके लिए धनवान प्रावकोंको सोचना चाहिए / अफसोस की बात यह है कि प्राचीन भव्य प्रतिमा अपने यहाँ शायद अपूज रहती हो, तो भी संचालक उसे अन्यत्र दे देनेके लिए तत्पर-उद्यत नहीं होते / ऐसा कटु अनुभव होनेके बाद विवश होकर नई प्रतिमाका निर्माण करना पड़ता है / प्राचीन जिनबिम्बों पर उन संघोंकी ऐसी गाढ श्रद्धा या लगन है कि उनकी भावनाका बंधन जुड़ा रहता है, अत: किसीके मांगने पर भी उसे नहीं देते / ऐसे समय क्या किया जाय? प्रश्न : (7) जिनबिम्बोंकी रक्षा मुश्किल बन पायी है ऐसे पंजाब आदि स्थलोंमेंसे जिनबिम्बोंको सुरक्षित स्थान पर रखने के लिए उनका उत्थापन क्यों किया न जाय? उत्तर : जरूर, विधिवत् उत्थापन अवश्य करें / जहाँ कहीं भी गाँवोंमें जैनोंकी आबादी बिलकुल रही न हो, पूजारीको पूजाका कर्तव्य सोंपा जाय तो, वह अतिशय अविधि-अशातना करता हो, मंदिरमें ही जुआ आदिकी अघटित प्रवृत्ति करता हो,