________________ चौदह क्षेत्रोंका विवरण 37 ऐसे समय जमा करानेकी देवद्रव्यकी कुल रकम कितनी निश्चित करें, तन्निमित्त विविध मार्गोंकी जानकारी पुण्यशाली महात्माओंको होनी चाहिए / उसमें संघशक्तिका भी ख्याल रखना चाहिए / अपनी गीतार्थताका कुशलसे उपयोग करके रकम निश्चित करनेका उसे पूरा अधिकार है / किसी भी तरह, बिना आत्मवंचना किये संघको जल्दसे जल्द देवद्रव्यके कर्जमेंसे मुक्त करना चाहिए / मान लें कि देवद्रव्यकी लेनी निकलनेवाली रकम का व्याज गिना जाय तो बहुत बड़ी रकम हो जाय / दूसरी ओर उस मकानकी वर्तमान किंमत आँकी जाय तो वह उतनी बडी न हो तो - दूसरा विकल्प अपनाकर गीतार्थताका उपयोग कर, उस उपाश्रयको कर्जमुक्त करना चाहिए / मानो कि अज्ञानके कारण, दो लाख रूपये देवद्रव्यके खातेमेंसे लेकर उसमें से उपाश्रय बनाया / उसे दस साल हो गये / व्याजके साथ अब उसकी किंमत आठ लाख हो गयी; लेकिन किंमतका अंदाजा निकालने पर उसकी किंमत पंद्रह लाखकी होती है / भले...., ऐसे समय क्या निर्णय करे, यह गीतार्थके हाथोंकी बात है / उस संघकी स्थिति आदिका विचार करना पड़े / उपरान्त, दस सालका घसाई खर्च (वर्षके पाँच प्रतिशतके अंदाज से) बाद कर, किंमत घट की जा सकती है / इस काम को पूरा करनेके लिए, उस स्थान पर, अधिक समय गुजारना पडे, * तो मुनिलोग वहाँ ठहर जायें / क्योंकि इस कार्यको करनेवाले मुनिलोग (निःस्पृही, निःस्वार्थी, निष्कामी) अधिकतम पुण्यानुबंधी पुण्यके साझेदार बनते हैं / ... उपाश्रय बाँधने के लिए तख्ती योजना आदि द्वारा प्राप्त होनेवाली भेंटकी रकम, * उपाश्रयकी पाट आदिकी नामकरणविधिकी रकम, उपाश्रयके उद्घाटनप्रसंग पर प्रमुख आदिको तिलक करनेके, श्रीफल देनेके इत्यादि चढावोंकी रकम, उपाश्रयके नीचे यदि दूकान निकाली गयीं हों तो उनके किरायेकी रकम इस खातेंमें जमा की जाय ।इस रकमका उपयोग उपाश्रयके बाँधकाममें एवं उपाश्रयमें आवश्यक कबाट'. आलमारी, टेबल, परात आदिकी खरीदीमें किया जाय / ___उपाश्रय आदि किसीभी प्रकार के मकानों के उपर मुख्य नामकरण योजनाका दान, पूरे बांधकाम के साठ प्रतिशत न्यूनातिन्यून रखना चाहिए / वह रकम बड़ी हो और दाता प्राप्त न होता हो, तो प्रतीक्षा की जाय / ऐसे धार्मिक बाँधकामोंका जो निर्वाह (नौकरको वेतन, गरखा, रीपेरींगकार्य आदि) करना होता है, उसका फंड भी तुरत ' बना देना चाहिए।