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________________ - सं. २०४४के श्रमण संमेलनमें 21 भवभीरु गीतार्थ सुविहित आचार्य भगवंतोने एकत्र होकर किये शास्त्राधारित प्रस्तावोंके आधार __पर लिखे गये / 'धार्मिक वहीवट विचार' पुस्तकके विषयमें भारतभरके जैन संघों को लक्ष्यकर जाहिर निवेदन .. प्रस्तुत पुस्तकके विषयमें विरोधी प्रचारसे कोई भी भ्रमित न हो / इस विषयमें जिज्ञासासे किसी को कुछ पूछना हो तो, हमसे प्रत्यक्ष मिलकर शास्त्राधार पर समाधान प्राप्त करना, यही योग्य-उचित पद्धति हैं / इससे शासनकी अपभ्रावना तथा संघके द्रव्यका दुर्व्यय न हो / इसके लिए समाचार पत्रोमें आमने सामने आनेकी हमारी इच्छा नहीं हैं / ले. आ. विजय जयघोषसूरि, अहमदाबाद. ' हा है /
SR No.004379
Book TitleDharmik Vahivat Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekharvijay
PublisherKamal Prakashan
Publication Year1996
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size22 MB
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