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________________ परिशिष्ट-५ 281 जाय ? आश्चर्य तो इस बातका है कि देरासरके पत्थरको शिल्पी घिसे तो उसको देवद्रव्य दिया जा सके और उस प्रतिमा (पत्थर)को पानीसे धोकर पूजारी साफ करे तो, उसे देवद्रव्य दिया नहीं जा सकता ? उपरान्त, कल्पित देवद्रव्यमेंसे पूजाकी सामग्री यदि लायी जा सके तो उसके कई सारे लाभ हैं / वे इस प्रकारके : एक बातको अच्छी तरह समझ लें कि यह देवद्रव्य है, मतलब कि बह देवके निमित्त द्रव्य है / अव शुद्ध साधारण विभागकी रकमें सामान्यतया कम होने के कारण शुद्ध बीके दीपक देरासरमें जलानेका काम खूब धनव्ययसे साध्य होनेके कारण, मुश्किल है। लेकिन कल्पित देवद्रव्यमेंसे इस रकमको मिलानेका काम बहुत सरल है / इस रकममेंसे बिजलीकी अत्यंत हानिकारक लाइटें जलायी जा सकती है ? लेकिन उसके स्थान पर कल्पित देवद्रव्यमेंसे रकम लेकर शुद्ध घीकी रोशनी की जाय तो उसमें परमात्माकी शोभामें कितनी वृद्धि होगी ? उस निमित्त कितने सारे जीव सम्यक्त्व आदि धर्म प्राप्त कर लें ! उस प्रकार जिनशासनकी अपूर्व प्रभावना हो, अनेक जीवोंको धर्मप्राप्त हो तो क्या देवनिमित्त द्रव्यका उपयोग ऐसे कार्योंके लिये भी न किया जाय ? क्या शुद्ध साधारण द्रव्यकी तद्दन सामान्य आँगीसे ही संतोष मनाना होगा ? ___ सभी याद रखें कि भूतकालमें 'घी'की बोली होती, उतने वजनका 'धी ही जमा किया जाता था / उस घीके दीपक ही देरासरोंमें जलाये जाते थे / अब आज उसी घीका मूल्य रूपयोंमें निश्चित किया गया है, तो उतने रूपयोंका घी लाकर, उसके दीपकोंसे रोशनी क्यों न की जाय ? ऐसा कर उन हिंसक लाईटोंको हमेशाके लिये क्यों न मिटा दी जायें ? उपरांत भव्य आंगीयोंसे भक्तोंकी भाववृद्धि भी कितनी बलवत्तर होगी ? उससे कितने सारे लाभ होंगे ? देवनिमित्त द्रव्य, देवकार्यमें भी उपयोगमें लाया न जाय, यह बात युक्तिसंगत मालूम नहीं होती / देवद्रव्यका दुरुपयोग न किया जाय, लेकिन इस प्रकार सदुपयोग तो अवश्य हो सकता है / सदुपयोग भी न करने द्वारा, देवद्रव्यकी वृद्धि करनेकी बात असंगत मालूम होती है। ___जो पूर्वमें जब पू. रामविजयजी म. सा. थे, वे पूज्यपाद रामचन्द्र सूरिजी म. साहबने उस समय आठ श्लोंकोंके अनुवादमें बताया था कि 'यदि देवद्रव्य
SR No.004379
Book TitleDharmik Vahivat Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekharvijay
PublisherKamal Prakashan
Publication Year1996
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size22 MB
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