________________ परिशिष्ट-४ . 275 जिन गाँवोमें आदान (पूजादि-आदिसे कल्पित) द्रव्यकी आमदानीका उपाय नहीं, वहाँ अक्षत, बलि (नैवेद्य) आदि द्रव्यसे ही प्रतिमाकी पूजा की जाती है / श्राद्धविधिके इस पाठमें जिन गाँवोमें पूजादि (कल्पित) द्रव्यकी उपार्जित रकमकी संभावना नहीं, वहाँ अक्षत, बलि (नैवेद्य) आदिके द्रव्यसे (निर्माल्य द्रव्यसे) ही पूजा सूचित की गयी है, तो यदि नूतन जिनमंदिर, जीर्णोद्धार और ऐसे गाँवोंमें ही देवद्रव्यसे पूजा करनेकी छुट्टी है, ऐसा कहनेवाले क्या समस्त देवद्रव्यको निर्माल्य द्रव्य ही समझते है ? पूजा-कल्पित आदि द्रव्यको भी निर्माल्य द्रव्यकी कक्षामें स्थापित करना, उन दोनों प्रकारके देवद्रव्यकी घोर आशातना नहीं होगी ? सुज्ञेषु किं बहुना !