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________________ धार्मिक-वहीवट विचार महेनत करें / सरकारी कानून अनुसार कदाच चुनावके तत्त्व को संमिलित करना पड़े तो भी चुनाव दिखावेके रूपमें मर्यादित हो और वास्तवमें तो अच्छे व्यवस्थापकोंकी नियुक्ति हो जाय ऐसा करनेके लिए अच्छे विचार, संघ समक्ष पेश करें और उसके मुताबिक उन्हें कार्यान्वित करे / बहुमतवाद जहाँ प्रवेश कर पाता है, वहाँ सर्वनाशका बोलबाला हो जाता है, इस बातका पक्का खयाल ट्रस्टीके दिमागमें बैठा होना चाहिए / .. (15) आमदानीकी रकमोंका विनियोग यथाशक्य शास्त्रीय नीतिके अनुसार यथाशीघ्र कर देना चाहिए / सविशेष तो उन्हें चाहिए कि देवद्रव्यकी रकम जीर्णोद्धार आदि कार्योंमें भिजवा देनी चाहिए और जीवदयाके निमित्त प्राप्त रकमोंको तत्तत्स्थानोंमें भिजवा देनी चाहिए / देवद्रव्यकी रकम तो कामधेनु गाय जैसी है / अतः देवद्रव्यमें नयी आमदानी तो बनी ही रहेगी / तदुपरांत यदि जीवदया निमित्त रकमोंको जमा रखी जाय तो, वह रकम जीवोंको अंतराय करने बदल पापबंधका कारण बन जाती है / (16) ट्रस्टीके लिए यदि किसी समय देरासर या. उपाश्रय आदि निर्माण करनेका प्रसंग उपस्थित हो तो तन्निमित्त नोंध यथाशक्य साधारण बहीमें ही करनी चाहिए / जिससे किसी कारण उस नोंधमें बढावा हो तो, उस रकमका उपयोग, देरासर या उपाश्रयके निभाव फंडके रूपमें भी किया जा सकेगा / पहलेसे ही इसकी स्पष्टता हो जानी चाहिए / . (17) ट्रस्टी का आचरण वैसा होना चाहिए जिससे महावीरदेव द्वारा स्थापित शासन दृढ बने ! अपने किसी पक्षका, स्वयंका अथवा अपने सगे सबंधियोंको लाभ हो, यह ध्येय न रखे / विशेषतः नयी पेढीकी रक्षाके लिए उसे यह प्रयत्न करना चाहिए / (18) ट्रस्टीके दिलमें धर्मशासन दृढतासे जमा हुआ होना चाहिए / ऐसा ट्रस्टी मौका आने पर राजकाजमें भी शामिल हो जाय; क्योंकि अब ऐसा विकट समय आ रहा है कि धर्मरक्षा करनेके लिए राज्यकक्षामें अपने स्वधर्मीजनोंके सिवा कोई सहायक बनेगा नहीं / वास्तवमें तो बहुमतआधारित चुनावलक्षी लोकशासन ही खतरेमें है / अतः वर्तमानकालमें तो 'जैसेके साथ वैसे'का व्यवहार किये बिना कोई चारा ही नहीं रहा / हृदयमें पूर्णरूपसे जिनशासनको समाविष्ट करनेवाले आत्मा चुनाव में विजेता बनकर संसदमें, राज्यसभामें, विधानसभामें, म्युनिसिपालिटीमें या
SR No.004379
Book TitleDharmik Vahivat Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekharvijay
PublisherKamal Prakashan
Publication Year1996
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size22 MB
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