________________ प्रथम खंड "धार्मिक द्रव्यके संचालन करनेकी योग्यता" ____ जो धर्मके प्रति निष्ठावान हो, जिसने न्यायपूर्वक धनोपार्जन किया हो, सात व्यसनोंका पूर्णतया त्यागी हो, जो लोगोंमें आदरणीय हो, अभिजात और उच्चकुलोत्पन्न हो, दाता हो, प्रतिदिन जिनपूजा करता हो, धैर्यवान हो, गुरुजनोंका पूजक-आराधक हो, शुश्रूषा आदि बुद्धिके आठों गुणोंसे संपन्न हो; दयालु हो, नीतिमान हो, सदाचारी हो, नीतिपूर्ण शास्त्रोक्त चैत्य-द्रव्यादिकी वृद्धिके मार्गोका ज्ञाता हो, जो शास्त्राज्ञाओंका (यथासंभव) पालक और चुस्त समर्थक हो, अपने गुणस्थान अनुसार शास्त्रोक्त आचरणका कर्ता हो, वह पुण्यात्मा सज्जन ही धार्मिक द्रव्यके संचालनके लिए सक्षम अधिकारी ____ जो अजैन हो, (जैन-श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन) व्यवसायमें कभी दिवालिया बना हो, व्यवसायमें जिसकी प्रतिष्ठा न हो, आर्यनीतिसे विरुद्ध दाणचोरी आदि बुरे व्यवसायोंमें फँसा हो, जिसने कारावास भोगा हो, जो परस्त्रीगामी हो, जो चोरीमें गिरफ्तार हुआ हो, जिसे अन्य व्यवस्था-संचालन संस्थाओंमेंसे निलंबित किया हो, जो हिसाबनामां लिखना सीखा न हो, जो धनलोभी हो, भोगलंपट हो, व्यवसायमें बिना सोचे-समझे बुरे साहस करता धा.व.-1