________________ 180. धार्मिक-वहीवट विचार है / ऐसे स्थानोंके जिनमंदिरोंकी और उनकी पूजा पूजारीको स्वाधीन कर देने पर, वहाँकी पूजाविधि नहींवत् और आशातनाओंसे भरी रहती है / कहीं तो जिनमंदिर पूजारीका घर ही बन गया है / संमेलनके श्रमणोंने इस वर्तमान स्थितिको और भविष्यमें पूजारियोंके युनियनों द्वारा उपस्थित होनेवाले खतरनाक भावि भयस्थानोंको ध्यानमें रखकर ऐसा प्रस्ताव पारित किया है / इस प्रस्तावमें जिनशासनके मूलभूत सिद्धान्तको पूर्णतया स्पष्ट शब्दोंमें आरंभमें रखा ही है / जिसका आशय है कि श्रावक स्वयं ही परमात्माकी सर्वप्रकारी पूजा करें / यदि इस बातका पूरा अमल हो तो बादमें आगेकी बात करनेकी आवश्यकता ही नहीं रहती / और पूजारीको यदि रखना ही हो तो उसके पास अंगपूजा तो करायी ही न जाय / उपरान्त, प्रस्ताव द्वारा यह निर्देश किया गया है कि यद्यपि देरासरके गर्भगृहके बाहरका कार्य पूजारी करेगा तो वह कोई कम तूफान नहीं करेगा, लेकिन हाल तो उसे जिनेश्वरदेवकी साक्षात् घोर आशातनासे दूर रखनेका सोचा गया है / वास्तवमें तो श्राविकाएँ एकत्र होकर यदि बारी बारी से-जैसे अपनी घरकी सफाई करती हैं उसी प्रकार -जिनमंदिरका सारा कार्य सम्हालती रहे, तो पूजारीको कोई काम सौंपनेकी नौबत ही न आये / / आज पर्यंत, इस विषयमें जाग्रत और सचिंत कतिपय श्रमणोंने श्रावकोंको उनके कर्तव्यकी ओर लगातार प्रेरित किये हैं / मंदिरोमें पूजारियोंको भी समझाया है / अरे, कभी कभी तो डाँट-डपटें भी दी है, लेकिन उसका कोई खास परिणाम दिखाई नहीं दिया / इसीलिए अब (उस कार्य को जारी रखकर) संमेलनके श्रमणोंने पूजारीको कमसे कम अंगपूजासे दूर रखनेका अभिप्राय व्यक्त किया है / यहाँ ऐसा गलत प्रचार (संमेलनका मानों विरोध करना ही ठान लिया हो) किया जा रहा है कि 'पूजारी द्वारा पूजा बंद करानेका निर्देश देकर, संमेलनने पालिताणाके पर्वत उपरकी सभी प्रतिमाओंकी पूजा चातुर्मासके लिए रोक दी है / जैनोंकी बिना आबादीवाले गाँवों आदिमें वासक्षेप पूजासे ही भगवानकी पूजा करनेका निर्देश देकर भगवंतकी सदियोंसे चली आनेवाली (अष्टप्रकारी) पूजाविधि रुकवा दी है / ' ये दोनों बातें जैनसंघको भडकाने-उभारनेके लिए ही प्रचारित की गयी हैं /