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________________ चौदह क्षेत्रोंसे संबद्ध प्रश्नोत्तरी सभी, गोबर, लेंडी, मल, मूत्र आदि रातदिन देते ही रहते हैं / यह सारा गोबर गेस पलान्टके लिए तो मिष्टान्न जैसा बन पाता है / ऐसा होने पर सभी प्राणियोंको अभयदान मिल जायेगा / हालमें चीनमें पशुओंका मूत्र भारी आमदनी करानेवाला सिद्ध हुआ है / सुननेमें आया है कि आकोला जिलेके शेगाँव के अंदर एक जानवर एक सालमें जितना गोबर-मूत्र देता है, उसकी आमदनी अठारह हजार रूपयोंकी होती है / अभी भी उसमें संशोधन हो रहा है / यदि इस प्रकार सभी प्राणियोंके मलमूत्र अपार आमदनी करानेवाले बन पाये तो धनपागल प्रजा, उन्हें खत्म-कत्ल करानेके बजाय, उनकी पूरी तरह देखभाल करनेमें लग जायेंगे / यदि वनस्पतिकी उपयोगिता सिद्ध हो तो, एक भी पत्र (पर्ण) तोडनेके अपराधमें दण्ड दिया जाय / / हाँ, अब ऐसे दिन आ रहे है जिनमें प्रदूषणोंसे पृथ्वीका विनाश देखनेवाली विश्वकी सरकारें, एकट्ठी होकर, प्राणवायु (आक्सीजन) वनस्पतिमेंसे और ऊर्जा (गोबर-मूत्र)मेंसे प्राप्त करनेके लिए खूब प्रयत्न कर रही हैं / ऐसा होने पर समग्र प्राणियोंको और वनस्पतिको समग्र विश्वकी ओरसे और मानवजातिकी ओरसे अभयदान मिल जायेगा; ऐसी कल्पना कैसी लगती है ? हम चाहेंगे कि जल्दसे जल्द आनंदके वे दिन अवतरित हों / प्रश्न : (131) जीवदयाकी रकमका श्रेष्ठ उपयोग करनेका मार्ग कौन-सा है ? उत्तर : परंपरागत रूपसे कत्लमें जानेवाले जीवोंको ‘अभयदान' देनेका रास्ता श्रेष्ठ माना जाय / लेकिन परिवर्तित वातावरणमें जीवदयाके लिए लडाये जाते अदालतोंके मुकद्दमोंमें, वकील आदिको दी जानेवाली फिस आदिमें उपयोग करना श्रेष्ठ मार्ग है / क्योंकि एक भी मुकद्दमे में विजय प्राप्त हो तो लाखों जीवोंको अभयवचन प्राप्त हो जाय / निकट भूतकालमें ही ऐसे एक मुकद्दमेमें विजय प्राप्त होने पर यह निश्चित हो गया है कि मार्ग परसे गुजरनेवाली ट्रकोंमें भरे हुए जानवरोंको पकडकर सीधे अदालती कार्यवाही द्वारा पाँजरापोलोंमें भर्ती करा दें / बादमें उनके मालिक यह सिद्ध करें कि ये गाय, बछडे, कत्लखानोमें लिये जाते न थे / घास-फूसवाले प्रदेशमें ही ले जाये जाते थे, तो वे जानवर उन्हें
SR No.004379
Book TitleDharmik Vahivat Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekharvijay
PublisherKamal Prakashan
Publication Year1996
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size22 MB
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