________________ 89 चौदह क्षेत्रोंसे संबद्ध प्रश्नोत्तरी समर्पित द्रव्यका, उन दोनोंमें यथायोग्य सदुपयोगके लिए संचय किया जाता है / इसी लिए जिनप्रतिमाके क्षेत्रमें समर्पित द्रव्य या रकमका सदुपयोग जीर्णोद्धार में किया जा रहा है / इस प्रकार साधु-साध्वियोंके दो खातोंका और श्रावक-श्राविकाओंके दो खातोंका एकीकरण समझा जाता है / संक्षेपमें सद्व्यय करनेके लिए क्षेत्र सात हैं लेकिन द्रव्यसंचयके लिए चार क्षेत्र हैं, यह कारणोसर सुविहित गीतार्थ महात्माओंने इस विषयमें विरोध किया हो, ऐसा दिखाई नहीं पड़ता / अतः आपके द्वारा सूचित उपरके खातेकी रकमका उपयोग निम्न खातेमें नहि करनेका सामान्य नियमका दोष नहीं लगता / प्रश्न : (59) देवद्रव्यकी रकमका उपयोग जीर्णोद्धारमें ही करना उचित नहीं लगता ? बिना जैनोंकी आबादीवाले हाईवेरोड पर निर्माण किये जानेवाले तीर्थोमें देवद्रव्यकी रकमका उपयोग करना, यह क्या देवद्रव्यका दुरुपयोग नहीं ? हाईवे परके तीर्थस्थान समाजके लिए बोझरूप नहीं बनते ? उत्तर :- सुविहित गीतार्थोंकी उस बातमें संमति द्रष्टिगोचर होती है कि देवद्रव्यकी रकमका उपयोग नूतन जिनमंदिरोंके निर्माणमें भी किया जाय / - बिना जैनोंकी आबादीवाले हाईवे रोड आदि स्थलों पर निर्माण होनेवाले तीर्थस्थलोंमें देवद्रव्यकी रकमका उपयोग करना पडे, यह बिलकुल उचित नहीं / हालमें तो प्राचीन तीर्थों की सुरक्षा की जाय, यही उचित है / नये निर्माण होनेवाले तीर्थों का बोझ, आखिर तो संघोंको ही उठाना पड़ता है / जैनसंघ स्वहस्तक परंपरागत संचालन भी ठीक ढंगसे कर नहीं पाता / मुनीमोंमें और शेष नौकरवर्गमें भी बेहद भ्रष्टाचार द्रष्टिगोचर हो रहा हैं / संचालनके ट्रस्टी केवल अपनी यशपताका लहरानेके लिए ट्रस्टी बने रहते हैं / उन्हें संचालनके भ्रष्टाचारके बारेमें कोई चिन्ता हो, ऐसा दिखाई नहीं पडता / देवद्रव्यादिके भंडारोंमेंसे चोरी भी होती है / नकली पहुँच-पावतीबुकों द्वारा भी भारी गोलमाल की जाती है / ___ एकान्त स्थलके नूतन तीर्थों में यात्रिकोंकी भीड रहे, उसके लिए वहाँ 'धर्मशाला, भोजनशाला आदि सुविधाएँ आधुनिक बनायी जाती हैं / इसकेकारण ये तीर्थ पिकनीक सेन्टर बनते हैं / विलासके स्थान बन गये हैं / ये तीर्थ हर तरहके विलासके हिल-स्टेशन बन गये है / प्रत्येक राज्यके शासकको