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________________ 79 चौदह क्षेत्रोंसे संबद्ध प्रश्नोत्तरी हो जाता था / “उपरान्त, घीके दीयेसे दैवी तत्त्वोंका आकर्षण होनेका दूसरा लाभ था / इलेक्ट्रिक लाइटोंमें इन दोनों लाभोंका खात्मा हो जाता है / जहाँ ऐसी लाईटें हों, वहाँ देवोंका आगमन संभव है क्या ? उपरान्त, जहाँ इलेक्ट्रिसिटी उत्पन्न होती हो, वहाँ घोरातिघोर हिंसा होती है / दीप यदि प्रकाशके लिए होते तो उनके स्थान पर इलेक्ट्रिक लाईटोंसे प्रकाश ला . पाते, लेकिन ऐसा नहीं / आखिर, गर्भगृहमें तो घीके दीप, दो सन्ध्याओंके थोडे समयके लिए रखे जायँ / उसका आनन्द कोई निराला ही होता है / रंगमंडपमें मजबूरीसे लाईट रखनी पडे तो वह बहुत मंद रोशनीकी हो और उसके उपर कोई क्वोटिंग हो जिससे उडनेवाली जीव वहाँ पहुँच ही न पाये / अन्यथा. घोर हिंसा हो जायेगी / लाइटसे सस्तेपनकी खोज करने पर हमने भक्तिरसका पूरा वातावरण जमानेवाले दीपक दूर कर कितना नुकसान उठाया है ? उपरान्त, इलेक्ट्रिक दीयोंकी उग्र गरमीसे परमात्माका बिम्ब काला होता रहता है / भक्तोंकी , आँखें भी चकाचौंध होकर तन्मयता पैदा नहीं होती / प्रश्न :- (40) साधारण खातेकी आमदानी करनेके लिए देरासर के अंदर या बाहर पद्मावतीजी आदिकी प्रतिमा स्थापित की जाय ? वह साधर्मिक होनेके कारण उनके भंडारकी आमदानी साधारण खाते में जमा हो सके ऐसा होने पर इस पद्धतिसे देवद्रव्य और साधारण खातोंके घाटेका बारहमासी प्रश्न आसानीसे हल हो सके उत्तर : सम्यग्दृष्टि देव-देवियोंकी प्रतिमाओंकी प्रतिष्ठा, तीर्थरक्षा, शासन रक्षा, संघरक्षादिके लिए एवं क्षुद्र देवोंके उपद्रवोंके निवारणके लिए की जा सकती है; लेकिन साधारणकी आयके लिए ही की जाय, यह उचित नहीं . शास्त्रकार भगवंत, देवाधिदेवकी भक्तिके, मंदिरके सभीकार्योंके लिए कल्पित देवद्रव्यका उपयोग किया जाय, ऐसा जब सूचित करते हैं तब संघोंके सुचारु संचालनके लिए और साधारण खातेकी दैनिक समस्याका हल यह है कि परमात्माकी पूजा-भक्ति, आँगी, पूजारीका वेतन आदिके लिए गृहस्थोंकी ओरसे जो भी रकम प्राप्त हो, उसे पाकर, बाकीके खर्च निकालने लिए
SR No.004379
Book TitleDharmik Vahivat Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekharvijay
PublisherKamal Prakashan
Publication Year1996
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size22 MB
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