________________ भीमदत्तराज्यपननम् / मायावनं.२६ / / [ पुचसो / नाणंमि दंसणे चेव, चरित्तम्मि तहेव य // 40 // पारिय-काउस्सगो, वंदित्ता य तथो गुरु। देसियं तु अतीचारं, आलोइज जहकर्म // 41 / / पडिक्कमित्ताण निस्सल्लो, वंदित्ताण तयो गुरुं / काउस्सग्गं तो कुज्जा, सबदुक्ख-विमुक्खणं // 42 // सिद्धाणं संथवं किचा, वंदित्ताण तश्रो गुरु। थुइमंगलं च, काऊणं, कालं संपडिलेहए // 43 // पढमं(मा) पोरिसिं(सि) सज्झायं, बीयं झाणं मियायई / तईयाए निदमुक्खं तु, चउत्थि भुजोवि सज्झायं(चउभाए चउत्थए) // 44 // पोरिसीए चउत्थीए, कालं तु पडिलेहए। सज्झायं तु तयो कुज्जा, श्रबोहंतो असंजए (कालं तु पडिलेहित्ता, अचोहिंतो असंजए / कुज्जा मुणी य सज्झायं, सव्वदुक्खविमोक्खणं)॥ 45 // पोरिसीए चउभाए, वंदित्ताण ततो(सेसे वंदितु तो) गुरुं / पडिक्कमित्तु कालस्स कालं तु पडिलेहए // 46 // श्रागए कायवुस्सग्गे, सव्वदुक्खविमुक्खणे / काउस्सग्गं तो कुजा, सव्वदुक्खविमुक्खणं // 47 // राईयं च अईयारं, चिंतिज्ज अणुपुब्बसो। नाणंमि दंसणंमि य, चरित्तंमि तवंमि य॥ 18 // पारियकाउस्सग्गो, वंदित्ताण तो गुरुं। राइयं तु अतीचारं, आलोइज जहकमं // 41 // पडिक्कमित्तु निस्सल्लो, वंदित्ताण तो गुरुं / काउस्सग्गं तयो कुजा सव्वदुक्खविमुक्खणं // 50 // किं तवं पडिवज्जामि ? एवं तत्थ विचिंतए / काउस्सग्गं तु पारित्ता, करिजा जिणसंथवं // 51 // पारियकाउस्सग्गो, वंदित्ताण तो गुरु। तवं संपडिवजित्ता, करिज सिद्धाण संथवं // 53 // एसा सामायारी, समासेण वियाहिया। जं चरित्ता बहू जीवा, तिना संसारसागरं // 53 // ति बेमि // // इति षड्विंशमभ्ययनम् // 26 //