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________________ 1] . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / / अष्टमो विभागः मरियध्वं काऊरिसेणविवस्स मरियव्वं / दुराहपि य मरणाणं वरं खु धीर. तणे मरिउं // 141 // एयं पञ्चक्खाणं अणुपालेऊण सुविहियो सम्म / वेमाणियो व देवो हविज अहवावि मिमिजा // 142 // महापच्चक्खाणपइराणं संमत्तं // 3 // // इति श्री महारत्याख्यान-प्रकीर्णकम् // 3 // // 4 // अथ श्री भक्तपरिज्ञा प्रकीर्णकम् // नमिऊण महाइसयं महाणुभावं मुणिं महावीरं / भणिमो भत्तपरिगणं निग्रसरणट्ठा परट्ठा य // 1 // भवगहणभमणरीणा लहंति निलुइसुहं जमल्लीणा / तं कप्पदुमकाणण-सुहयं जिणसासणं जरइ // 2 // मणुअत्तं जिणवयणं च दुल्लहं पाविऊण सप्पुरिसा! / सासयसुहिकरसिएहिं नाणवसिएहिं होअव्वं // 3 // जे अज सुहं भविणो संभरणीयं तयं भवे कल्लं / मग्गंति निरुवसग्गं अपवग्गसुहं बुहा तेणं // 4 // नरविबुहेसरसुक्खं दुक्खं परमत्यत्रो तयं बिति / परिणामदारुणमसामयं च जं ता अलं तेण // 5 // जं सासयसुहसाहण-माणाबाराहणं जिणिंदाणं / ता तीए जइयवं जिणवयणविसुद्धबुद्धीहिं // 6 // तं नाणदंसणाणं चारित्ततवाण जिणपणीबाणं / जं बाराहणमिणमो प्राणायाराहणं विति // 7 // पवजाए अभुजश्रोऽवि श्राराहो अहासुत्तं / अभुजअमरणेणं अविगलमाराहणं लहइ // 8 // तं अब्भुज्जुमरणं अमरणधम्मेहिं वनियंतिविहं / भत्तपरिन्ना इंगिणि पायोवगमं च धीरेहिं // 1 // भत्तपरिनामरणं दुविहं सविधारमो य अविश्रारं। सपरकमस्स मुणिणो संलिहिअतणुस्स सवि. प्रारं // 10 // अपरकमस्स काले अप्पहुप्पंतमि जं तमविश्रारं। तमहं भत्तपरिन्नं जहापरिन्नं भणिस्सामि // 11 // घिइबलविश्रलाणमकालमचुकलिबाग-प्रकयकरणाणं / निवजमजकालिब-जईण जुग्गं निरुवस्सग्गं // 12 // परम(पसम)सुहसप्पिवासो असोयहासो सजीवित्रनिरासो।
SR No.004369
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1975
Total Pages152
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_chatusharan, agam_aaturpratyakhyan, agam_mahapratyakhyan, agam_bhaktaparigna, agam_tandulvaicharik, agam_sanstarak, agam_gacchachar, & agam_chandra
File Size16 MB
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