________________ प्रकीर्णकानि : 2 आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णकम् ] भयं सोगं, रइंघरइं च वोसिरे ॥२२॥ममत्तं परिवजामि, निम्ममत्तं उवडियो। श्रालंबणं च मे पाया, अवसेसं च वोसिरे॥२३॥ आया हु महं नाणे पाया मे दंसणे चरिते या पाया पचक्खाणे पाया मे संजमे जोंगे॥२४॥ एगो बच्चई जीवो, एगो चेवुववजई। एगस्स चेव मरणं, एगो सिज्झई नीरो॥२५॥ एगो मे सासयो अप्पा, नाणदंसणसंजुयो। सेसा मे बाहिरा भावा, सव्वे संजोगलक्खणा // 26 // संजोगमूला जीवेणं, पत्ता दुवखपरंपरा / तम्हा संजोगसंबंध, सव् तिविहेण (सब्वभावेण) वोसिरे // 27 // मूलगुणे उत्तरगुणे जे मे नाराहिया पमाएणं (पयत्तेणं) / तमहं सव्वं निंदे पडिकमे आगमिस्साणं // 28 // सत्त भए अट्ठ मए सन्ना चत्तारि गारवे तिनि / अासायण तेत्तीसं रागं दोसं च गरिहामि // 21 // अस्संजममन्नाणं मिच्छत्तं सव्वमेव य ममत्तं / जीवेसु अजीवेसु य तं निंदे तं च गरिहामि // 30 // निंदामि निंदणिज्ज गरिहामि य जं च मे गरहणिज्ज / बालोएमि य सव्वं सब्भितरबाहिरं उवहिं // 31 // जह बालो जपंतो कजमकज्जं च उज्जुयं भगाइ / तं तह बालोइजा मायामोसं पमुत्तूणं (मायामयविप्पमुक्को अ) // 32 // नाणंमि दसणंमि य तवे चरिते य चउसुवि अकंपो। धीरो भागमकुसलो अपरिस्सावी रहस्साणं // 33 // रागेण व दोसेण व जं भे अकयन्नुया पमाषणं / जो में किंचिवि भणियो तमहं तिविहेण खामेमि // 34 // तिविहं भणंति मरणं बालाणं बालपंडियाणं च / तइयं पंडितमरणं जं केवलिणो अणुमरंति // 35 // जे पुण अट्ठमईया पयलियसन्ना य वंकभावा य / असमाहिणा मरंति न हु ते बाराहगा भणिया // 36 / / मरणे विराहिए देवदुग्गई दुलहा य किर बोही / संसारो य अणंतो होइ पुणों यागमिस्साणं // 37 // का देबदुग्गई का अबोहि केणेव बुझई मरणं / केण अणंतमपारं संसारं हिंडई जीवो // 38 // कंदप्प-देवकिब्बिस-अभियोगा बासुरी य संमोहा। ता देवदुग्गईयो मरणमि विराहिए हुँति // 31 // मिच्छ. हमा // o तमहं तव / तइयं लियस पर