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________________ 251 260 252 261 261 252 252 253 261 262 ર૬૮ 256 निश्चयव्यवहारी मुक्तिस्वरूपं भवानिवेदः मिथ्यात्ववर्णन षदर्श नवर्णन निवृतिमार्गः साधुवर्णन साविकपुरवर्णन चित्तसमाधानमण्डप सन्तोषभूपः विवेकशिखरवर्णन जैनपुरवर्णन मोहाद्या बान्धवाः 257 जीववीय विष्टर भावार्थावबोधः चारित्रधर्मराजवर्णन दानादीनि वक्त्राणि विरतिः चारित्रपञ्चकम् दशधा यतिधर्म सद्भावसारता सद्गुणरक्तता सम्यग्दर्शन-सुदृष्टी सद्बोधावगती निम्पिपासिता चारित्रनुपसैन्य प्रीष्मवर्णन 266 प्राइवर्णन 267 जडेरसनालोलतामहिमा 267 विचक्षणविचारः विमलालोकलामः . 268 आचार्यनृपजल्पः विचक्षणप्रवज्या रिपुदारणस्य राज्याभिषेकः 270 मृदुतासत्यते कन्ये नरवाहनदीक्षा तपनपक्रयागमः रिपुदारणचेष्टा 271 रिपुदारणस्यभवान्तर साक्रमः२७२ 269 269 262 262 263 264 264 264 258 270 258 259 271 259 260 266
SR No.004358
Book TitleUpmitibhav Prapancha Katha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekharvijay
PublisherKamal Prakashan
Publication Year
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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