________________ देविंदत्थओ अंतो चउरंसा खलु, अहियमणोहरसहावरमणिज्जा / बहिरओ चिय वट्टा, निम्मलवइरामया सव्वे / / 33 / / उक्किन्नंतरफलिहा अभितरओ उ भवणवासीणं / भवण-नगरा विरायंति कणगसुसिलिट्ठपागारा // 34 // वरपउमकण्णियासंठिएहि' हिट्ठा सहावलठेहिं / सोहिंति पइट्ठाणेहिं विविहमणिभत्तिचित्तेहिं // 35 // चंदणपयट्ठिएहि य आसत्तोसत्तमल्ल-दामेहिं / दारेहि पुरवरा ते पडागमालाउला रम्मा // 36 // अद्वैव जोयणाई उव्विद्धा होंति ते दुवारवरा / धूमघडियाउलाइं कंचणघंटापिणद्धाणि // 37 // जहिं देवा भवणवई वरतरुणीगीय-वाइयरवेणं / निच्चसुहिया पमुइया गयं पि कालं न याणंति // 38 // [दक्षिणोत्तरभवणवइइदाणं भवणसंखा ] चमरे धरणे तह वेणुदेव पुण्णे य होइ जलकंते / अमियगई वेलंबे घोसे य हरी य अग्गिसिहे // 39 // कणग-मणि-रयणथूभियरम्माइं सवेइयाइं भवणाई। एएसिं दाहिणओ, सेसाणं उत्तरे पासे // 40 // चउतीसा' चोयाला अट्टत्तीसं च सयसहस्साई / चत्ता पन्नासा खलु दाहिणओ हुति भवणाइं // 41 // 1. °यामंडियाहिं हिट्ठा प्र० सा० // 2. °णदामोवणद्धाणि प्र० हं० सा० // 3. °सा चउयाला हं० / °सा अडयाला प्र०, अशुद्धोऽयं पाठः // .