________________ देविदत्यो ( lvi ) भवणवइ-वाणमंतर-जोइसिया होंति सत्तरयणीया। कप्पवईण य सुंदरि ! सुण उच्चत्तं सुरवराणं // 194 // सोहम्मे ईसाणे य सुरवरा होंति सत्तरयणीया / दो दो कप्पा तुल्ला दोसु वि परिहायए रयणी // 195 // भवणवइ-वाणमंतर-जोइसिया हुँति कायपवियारा / कप्पवईण वि सुंदरि ! वोच्छं पवियारणविही उ // 199 // सोहम्मीसाणेसुं च सुरवरा होंति कायपवियारा / सणंकुमार-माहिदेसु फासपवियारया देवा // 200 // बंभे लंतयकप्पे य सुरवरा होति रूवपवियारा / महसुक्क सहस्सारेसु सद्दपवियारया देवा // 201 // आणय-पाणयकप्पे आरण तह अच्चुएसु कप्पम्मि। देवा मणपवियारा परओ पवियारणा नत्थि // 202 // आवलियाइ विमाणा वट्टा तंसा तहेव चउरंसा। पुप्फावकिण्णया पुण अणेगविहरूव-संठाणा // 209 //