________________ देविदत्थओ | xlviii) एवइयं तारग्गं जं भणियं तह य मणुयलोगम्मि / चार कलंबुयापुप्फसंठियं जोइसं चरइ // 128 // रवि-ससि-गह-नक्खत्ता एवइया आहिया मणुयलोए / जेसिं नामा-गोयं न पागया पनवेइति // 129 // छावढेि पिडयाई चंदाऽऽइच्चाण मणुयलोगम्मि / दो चंदा दो सूरा य होंति एक्केक्कए पिडए // 130 // छावढि पिडयाइ नक्खत्ताणं तु मणुयलोगम्मि। छप्पन्नं नक्खत्ता य होंति एक्केक्कए पिडए // 131 // छावढी पिडयाई महग्गहाणं तु मणुयलोगम्मि / छावत्तरं गहसयं च होइ एक्केक्कए पिडए // 132 // चत्तारि य पंतीओ चंदाऽऽइच्चाण मणुयलोगम्मि / छावट्ठि छाव४ि च होई इक्किक्किया पंती // 133 // छप्पन्नं पंतीओ नक्खत्ताणं तु मणुयलोगम्मि / छावट्ठि छावद्धिं च होइ . इक्किक्किया पंती // 134 // छावत्तरं गहाणं पंतिसयं होइ मणुयलोगम्मि। छावर्द्वि छावटुिं च होइ इक्किक्किया पंती // 135 // ते मेरुमणुचरंती पयाहिणावत्तमंडला सव्वे / अणवट्ठिएहिं जोएहिं चंद-सूरा गहगणा य // 136 // नक्खत्त-तारयाणं अवट्ठिया मंडला मुणेयव्वा / ते वि य पयाहिणावत्तमेव मेरुं अणुचरंति // 137 //