________________ ( xxxvii ) लवणस्स समुदस्स बावत्तरि नागसाहस्सीओ बहिरियं वेलं धारंति // ' वायुकुमाराणं छण्णउई भवणावाससयसहस्सा पण्णत्ता // 2 प्रज्ञापना : चोवर्द्वि असुराणं 1 चुलसीती चेव होति जागाणं 2 / बावरि सुवण्णे 3 वाउकुमाराण छण्णउई 4 // दीव-दिसा-उदहीणं विज्जुकुमारिद-थणिय-मग्गीणं / छण्हं पि जुअलयाणं छावत्तरिमो सतसहस्सा 10 // चीत्तीसा 1 चोयाला 2 अट्ठत्तीसं च सयसहस्साई 3 / पण्णा 4 चत्तालीसा 5-10 दाहिणओ होति भवणाई॥ तोसा 1 चत्तालीसा 2 चोत्तीसं चेव सयसहस्साई 3 // छायाला . 4 छत्तीसा 5-10 उत्तरओ होंति भवणाई // पिसाया 1 भूया 2 जक्खा 3 रक्खसा 4 किन्नरा 5 किंपुरिसा 6 / भुयगवइणो य महाकाया 7 गंधव्वगणा य निउणगंधव्वगीत रइणो 8 / काले य महाकाले 1 सुरूव पडिरूव 2 पुण्णभद्दे य / अमरवइ.माणिभद्दे 3 भीमे य तहा महाभीमे 4 // - 1. वही, पृ. 930, सूत्र-३५३. . 2. वही, पृ० 155, सूत्र-४३३. .. 3. प्रज्ञापनासूत्र-मधुरमुनि, द्वितीय स्थान पद पृ० 160, सूत्र 178 गाथा .. 138-139. 4. वही पृ० 160, सूत्र-१८७, गाथा-१४०-१४१.