________________ ( xxxv ) स्थानांग सूत्र : दो असुरकुमारिंदा पण्णत्ता, तंजहा-चमरे चेव, बले चेव // दो णागकुमारिंदा पण्णत्ता, तंजहा-धरणे चेव, भूयाणंदे चेव / / दो सुवण्णकुमारिंदा पण्णता, तंजहा-वेणुदेवे चेव, वेणुदाली चेव // दो विज्जुकुमारिंदा पण्णत्ता, तंजहा-हरिच्चेव, हरिस्सहे चेव // दो अग्गिकुमारिंदा पण्णत्ता, तंजहा-अग्गिसिहे चेव, अग्गिमाणवे चेव // दो दीवकुमारिंदा पण्णत्ता, तंजहा-पुण्णे चेव, विसिढे चेव // दो उदहिकुमारिंदा पण्णत्ता, तंजहा-जलकते चेव, जलप्पभे चेव॥ दो दिसाकुमारिंदा पण्णता, तंजहा-अमियगती चेव, अमितवाहणे चेव // दो वायुकुमारिंदा पण्णत्ता, तंजहा-लंबे चेव, पभंजणे चेव // ___ दो थणियकुमारिंदा पण्णता, तं जहा-घोसे चेव, महाघोसे चेव // ' समवायांग सूत्र : चउसटुिं असुरकुमारावाससयसहस्सा पण्णत्ता। चमरस्त णं रन्नो चउट्ठि सामाणियसाहस्सीओ पण्णत्ताओ॥ चोरासीइं. नागकुमारावाससयसहस्सा पण्णत्ता। चोरासीइं पन्नगसहस्साई पण्णत्ता। चोरासीइं जोणिप्पमुहसयसहस्सा . पण्णत्ता। बावत्तरि सुवन्नकुमारावाससयसहस्सा पण्णत्ता। 1. (क) स्थानांगसूत्र-मुनि मधुकर, पृ० 78-79 सूत्र 353 से 362 तक (ख) तिलोय पण्ण त्ति-महा०, 3, गाथा 14-16 2. (क) समवायांगसूत्र-मुनि मधुकर, पृ० 124, सूत्र 325. ... (ख) तिलोयपण्णत्ति-महा० 3 गाथा 9-11: 3. वही, पृ० 143, सूत्र-३९६.