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________________ - शुद्धि-पत्र पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध शुद्ध vi. 139 वैमानिक देव 16 vii vii 4 19 201 176 यूर्यप्रज्ञप्ति कुमारों के इन्द्र भवन एवं 129 ज्योतिष्क देवों की स्थिति 159-61 38 202 276 सूर्यप्रज्ञप्ति कुमार इन्द्र भवनों की ऊँचाई एवं बहिर0 बाहिर0 199 19 . महोरग-गंधर्व और . पणपषि और चन्द्र भवरणभइ महोरग और गंधर्व पणपरिण (मौर) उससे चन्द्र भवरणवई 3. या लाख 16-17 7 . 22 11.. 554 हजार और वेजयन्त और विजय (विमान) होता है और दक्षिण दिशा की और वेजयन्त कही गयी है जाननी चाहिए उसके बाद उसी प्रकार (होते है) जानना चाहिए और अनुपम और जहाँ अनुत्तरदेव अनुपम (होता है) जानना चाहिए अनि बदमाणम्मि वद्धमाणम्मि सामाइयकडा [(सामाइय) सामइय कडा [(सामइय) बादं भरिणयं भणियमित्तम्मि [(भणियं) + (इत्तम्मि)] भणियं 8 . 14 16 15 बाद 80 21
SR No.004356
Book TitleDevindatthao
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhash Kothari, Suresh Sisodiya
PublisherAgam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan
Publication Year1988
Total Pages230
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_devendrastava
File Size12 MB
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