________________ व्याकरणिक विश्लेषण 127 यारा [ (रूव) - ( पवियार) 1/2 ] महसुक्क-सहस्सारेसु [ (महसुक्क) - (सहस्सार) 7/2 ] सद्दपवियारया [ (सद्द) - (पवियार) 'य' स्वार्थिक 1/2 ] देवा (देव) 1/2 202. आणय-पाणयकप्पे [ (आणय) - (पाणय) - (कप्प) 7/1] आरण (आरण) मूलशब्द 7/2 तह (अ) = पादपूर्ति अच्चुएसु (अच्चुम)7/2 कप्पम्मि (कप्प) 7/1 देवा (देव) 1/2 मणपवियारा [ (मण)(पवियार) 1/2 ] परओ (पर) 1/1 वि 'य' स्वार्थिक पवियारणा (पवियारणा) मूलशब्द 1/2 नत्थि (अ) = नहीं 203. गोसीसागुरु-केययपत्ता-पुन्नाग-बउलगंधा [ ( गोसीस) + (अगुरु) +(केयय ) + ( पत्ता)+ (पुन्नाग ) + ( बउल ) + (गंधा)] [ ( गोसीस )- ( अगुरु ) - ( केयय )- (पत्त)- (पुन्नाग)(बउल)- (गंध ) 1/2 ] य (अ) = और चंपय-कुवलयगंधा [ (चंपय) - (कुवलय) - (गंध) 1/2] य (अ) = और तगरेलसुगंध गंधा [ (तगरेल) - (सुगंध)- (गंध) 1/2 ] * समास पद में मात्रा पूर्ति हेतु दीर्घ का ह्रस्व हो जाता है। 204. एसा (एत) 1/2 स णं (अ) = वाक्यालंकार गंधविही [ (गंध)' (विहि) 1/1 ] उवमाए* ( उवमा ) 7/1 वण्णिया ( वण्ण ) भक 1/2 समासेणं ( समास ) 3/1 दीट्रिए (दिट्रि) 3/1 वि (अ) = पादपूर्ति य (अ) = और तिविहा (तिविह) 1/2 थिर (थिर) मलशब्द 3/1 सुकुमारा ( सुकुमार ) 1/2 य (अ) = और फासेणं (फास) 3/1 * कभी-कभी तृतीया विभक्ति के स्थान पर सप्तमी विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है। (हेम प्राकृत व्याकरण, 3/135) 205. तेवीसं* (तेवीस) 1/1 च (अ) = और विमाणा ( विमाण ) 1/2 चउरासीई ( चउरासीइ ) 2/1 च (अ) = और सयसहस्साई (सयसहस्स) 1/2 सत्ताणउइ (सत्ताणउइ) मूलशब्द 1/1 सह