________________ व्याकरणिक विश्लेषण 121 पादपूर्ति सुंदरि ! ( सुन्दरी ) 8/1 ठिईविसेसे ( ठिइविसेस ) 2/2 निसामेहि ( णिसम ) आज्ञा 2/1 सक 175. दो ( दो) 1/1 सागरोवमाइं (सागरोवम ) 1/2 सक्कस्स (सक्क) 6/1 ठिई (ठिइ) 1/1 महाणुभागस्स ( महाणुभाग) 6/1 साहीया ( साहिय ) 1/2 वि ईसाणे ( ईसाण ) 7/1 सत्तेव [ ( सत्त )+( एव ) ] सत्त ( सत्त ) मूलशब्द 1/1 एव(अ) = ही सणंकुमारम्मि ( सणंकुमार ) 7/1_ 176. माहिदे ( माहिंद ) 7/1 साहियाइं (साहिअ) 1/2 सत (सत्त) 1/2 य (अ) = और दस (दस) 1/2 चेव [ (च)+(एव)] च (अ) = और एव (अ) = ही बंभलोगम्मि ( बंभलोग )7/1 चोइस ( चोद्दस ) मूलशब्द 1/2 लंतयकप्पे [ ( लंनय )- ( कप्प) 7/1] सत्तरस ( सत्तरस ) 1/2 भवे ( भव ) व 3/1 अक महासुक्के ( महासुक्क ) 7/1 . 177. कप्पम्मि (कप्प) 7/1 सहस्सारे (सहस्सार) 7/1 अटारस(अट्ठारस) 1/2 सागरोवमाई ( सागरोवम ) 1/2 ठिई ( ठिइ ) 1/1 आणय (आणय) मूलशब्द 7/1 एगूणवीसा (एगणवोसा) 1/2 वोसा(वीस) . 1/2 पुण (अ) = पादपूर्ति पाणए ( पाणअ ) 7/1 वि कप्पे (कप्प) 7/1 178. पुण्णा ( पुण्ण ) 1/2 य ( अ ) = और एक्कवीसा ( एककवीसा) 1/2 उदहिसनामाण [ ( उदहि )- (स ) वि-(नाम) 6/2] आरणे ( आरण) 7/1 कप्पे (कप्प) 7/1 अह (अ) = पादपूर्ति अच्युयम्मि (अच्चुअ) 7/1 कप्पे ( कप्प ) 7/1 बावीस* (बावीस) _2/1 सागराण ( सागर ) 6/2 ठिई ( ठिइ ) 1/1 * कभी कभी प्रथमा विभक्ति के स्थान पर द्वितीया का प्रयोग पाया जाता है। (हेम प्राकृत व्याकरण 3/137 वृत्ति) 179. एसा ( एआ) 1/1 कप्पवईणं ( कप्पवइ ) 6/2 कप्पठिई (कप्प ठिइ ) 1/2 वणिया ( वण्ण ) भूकृ 1/2 समासेणं ( समास ) 3/1