________________ देविंदत्थओ 127. एसो ( एत ) 1/1 स तारापिंडो [ ( तारा )-(पिंड ) 1/1] सव्वसमासेण* [ ( सव्व ) - ( समास ) 3/1 ] मणुयलोगम्मि ( मणुय ) - (लोग ) 7/1 ] बहिया ( अ ) = बाहर पुण (अ) = पादपति ताराओ ( तारा ) 1/2 जिणेहि (जिण) 3/2 भणिया ( भण ) भूकृ 1/2 असंखेज्जा ( असंखेज्ज ) 1/2_ * * कभी-कभी तृतीया विभक्ति का प्रयोग पंचमी विभक्ति के स्थान पर होता है / हेम प्राकृत व्याकरण 3/136 128. एवइयं ( एवइय ) 1/1 वि तारग्गं ( ताराग्ग ) 1/1 जं (ज) 1/1 स भणियं ( भण) भूक 1/1 तह ( अ )= उसी प्रकार य (अ) = और मणुयलोगम्मि [( मणुय ) - ( लोग़ ) 7/1] . चारं ( चार ) 1/1 कलंबुयापुप्फसंठियं [( कलंबुय ) - ( पुप्फ ) - (संठिय) भूकृ 1/1 जोइस (जोइस ) 1/1 चरइ (चर) व 3/1 अक 129. रवि-ससि-गह-नक्खता [ ( रवि )- ( ससि )- (गह) ( नक्खत्त) 1/2 ] एवइया ( एवइय ) 1/2 वि आहिया ( आह) भूकृ 1/2 मणु यलोए [ ( मणुय ) - (लोअ ) 7/1 ] जेसिं (ज) 6/2 स नामा-गोयं ( नामागोय ) 1/1 न ( अ ) = नहीं पागया (पागय ) 1/2 वि पन्नवेइंति* ( पन्नव ) व 3/2 सक * पन्नव→पन्नति होना चाहिए / 130. छावठिं* (छावट्ठि) 2/1 वि पिडयाई (पिडय) 1/2 चंदाऽऽइच्चाण [ (चंद) + (आइच्चाण) ] [ (चंद)- (आइच्च) 6/2 ] मणु यलोयम्मि [(मणुय) - (लोय) 7/1] दो (दो) 1/2 चंदा (चंद) 1/2 दो (दो) 1/2 सूरा (सूर) 1/2 य (अ) = और होति (हो) व 3/2 अक एक्केक्कए [ ( एक्क ) + (एक्कए) ] [ (एक्क) - (एक्कअ) 7/1] पिडए (पिडअ) 7/1 * कभी-कभी प्रथमा विभक्ति के स्थान पर द्वितीय विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है / (हेम प्राकृत व्याकरण 3/137, वृत्ति)