________________ देविदत्थओ पण्णावीसं जोयणसयाइ पुढवीण होइ बाहल्लं / बंभय-लंतयकप्पे रयणविचित्ता य सा पुढवी // 257 // 'तत्थ विमाण बहुविहा पासाया य मणिवेइयारम्मा। वेरुलियथूभियागा. रयणामयदामऽलंकारा / / 258 // लोहिय हालिद्दा पुण सुक्किलवण्णा य ते विरायंति। .. सत्तसए उविद्धा पासाया तेसु कप्पेसु // 259 // 'तत्थाऽऽसणा बहुविहा, सयणिज्जा य मणिभत्तिसयचित्ता / विरइयवित्थडदूसा, रयणामयदामऽलंकारा // 260 // चउवीस जोयणसयाई पुढवीणं तासि होइ बाहल्लं / सुक्के य सहस्सारे रयणविचित्ता य सा पुढवी // 261 // तत्थ विमाण बहुविहा पासाया य मणिवेइयारम्मा / वेरुलिय)भियागा, रयणामयदामऽलंकारा // 262 // हालिद्दभेयवण्णा सुक्किलवण्णा य ते विरायति / अट्ठसते उविद्धा पासाया तेसु कप्पेसु // 263 // तत्थाऽऽसणा बहुविहा, सयणिज्जा य मणिभत्तिसयचित्ता / विरइयवित्थडदूसा, रयणामयदामऽलंकारा // 264 // तेवीस जोयणसयाइ पुढवीणं तासि होइ बाहल्लं / आणय-पाणयकप्पे आरण-ऽच्चुए रयणविचित्ता उ सा पुढवी // 265 // 1. 258 गाथातः 261 पर्यन्ता गाथाः प्रतिषु न वर्तन्ते / किञ्चास्माभिरस्मिन् संशोधनेऽनङ्गीकृते ला० द० विद्यामन्दिरसत्के एकस्मिन्नादर्श एता गाथा उपलभ्यन्ते / श्रीमद्भिः सागरानन्दसूरिभिरपि एतादृशादर्शान्तरादेताः गाथा उपलब्धाः सन्ति / / 2. इयं गाथा कुत्राप्यादर्श न दृश्यते /